India Pakistan Relation: भारत और पाकिस्तान के बीच बातचीत को लेकर इन दिनों अटकलों का बाजार गर्म है. देश में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार बनने के बाद पाकिस्तान के साथ बातचीत बिल्कुल बंद है लेकिन दावा किया गया कि दोनों देशों के बीच गुपचुप तरीके से बातचीत जारी है. इस मामले में पाकिस्तान की विदेश राज्य मंत्री हिना रब्बानी खार का बयान आया और उन्होंने कहा कि इन दावों में कोई दम नहीं है.
हिना रब्बानी खार ने पाकिस्तान की संसद में बयान देते हुए कहा कि भारत के साथ पाकिस्तान की कोई गुप्त बातचीत नहीं चल रही है. इस मामले पर इस्लामिक स्टडीज के जानकारी मुक्तर खान का कहना है कि इसमें कोई बात नहीं है कि इस तरह की अफवाहें हैं कि भारत और पाकिस्तान गुप्त बातचीत कर रहे हैं. उन्होंने कहा, “सबसे रोचक चीज तो ये है कि हिना रब्बानी खार जो पहले उच्च पद थीं वो अब उससे नीचे वाले पद पर काम कर रही हैं. पाकिस्तान इस चीज को प्रोटेक्ट ज्यादा कर रहा है और ये कहना कि भारत और पाकिस्तान के बीच गुप्त बातचीत नहीं है ये कहना सही नहीं होगा.”
‘पाकिस्तान से बात के लिए दो विदेश नीति चाहिए’
उन्होंने अपनी बात रखते हुए कहा कि अगर पाकिस्तान से बातचीत करनी है तो किसी देश को दो विदेश नीतियों पर ध्यान देना होता है. पहली इस्लामाबाद के साथ तो दूसरी रावलपिंडी के साथ. रावलपिंडी और इस्लामाबाद के बीच की तकरार सभी को पता है. उनके बीच कोई बातचीत नहीं है. उन्होंने कहा, “हिना रब्बानी खार का कहना है कि इस्लामाबाद के साथ तो कोई बातचीत नहीं चल रही लेकिन रावलपिंडी के साथ चल रही हो तो कुछ कहा नहीं जा सकता.”
‘भारत डिप्लोमेटिक सेंटर बन गया है’
उन्होंने कहा कि साल 2023 के आते-आते भारत पूरी दुनिया का डिप्लोमेटिक सेंटर बन गया है और ऐसे में भारत को नजरंदाज करना किसी भी देश के लिए आसान नहीं है. भारत पाकिस्तान की बातचीत पर उनका कहना है कि इसमें भी तीन चीजें हैं एक भारत सरकार दूसरी पाकिस्तान सरकार और तीसरा है पाकिस्तान की सेना.
बिलावल भुट्टो के भारत आने पर
बिलावल भुट्टो के भारत आने पर उन्होंने कहा, “उनको जो न्यौता देने की बात हो रही है ये एक रुटीन प्रक्रिया के तहत किया गया है, इसमें कोई नई बात नहीं है. अगर लोग कह रहे हैं कि गुप्त बातचीत की वजह से उनको एससीओ मीटिंग में आने का न्यौता दिया गया है तो ये गलत है. ये एक प्रक्रिया है.” उन्होंने कहा कि बात ये नहीं है कि वो आएंगे या नहीं. असल बात ये है कि अगर वो आते हैं तो आने के बाद क्या करेंगे? क्या वो अपनी बयानबाजी बंद करेंगे. क्या वो भारत-पाकिस्तान के रिश्तों को सुधारने की कोशिश करेंगे?