संयुक्त राष्ट्र में भारत ने पाकिस्तान में दिसंबर 2020 को ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को ध्वस्त किए जाने के मामले को उठाया. इस दौरान भारत ने कहा कि दुनिया में आतंकवाद, हिंसात्मक अतिवाद, कट्टरपंथ और असहिष्णुता में इजाफा हो रहा है. इससे धार्मिक और सांस्कृतिक विरासत स्थलों को आतंकी गतिविधियों और विनाश का भय बढ़ रहा है. भारत ने कहा कि इसका ताजा उदाहण हाल ही में पाकिस्तान में देखने को मिला जहां पर एक ऐतिहासिक हिंदू मंदिर को तोड़ दिया गया और पाक सरकार मूक दर्शक बनी रही. "इस विडंबना" पर प्रकाश डालते हुए भारत ने कहा कि पाकिस्तान ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा पर सह-प्रायोजित प्रस्ताव दिया था जबकि वहां "अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन किया जा रहा है".
पाक कानून प्रवर्तन एजेंसियां बनी रहीं "मूक दर्शक
भारत ने पाकिस्तान को शांति की संस्कृति पर संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के सह-प्रायोजक के रूप में पुकारा है, इस दौरान कहा गया कि पाक कानून प्रवर्तन एजेंसियां उस दौरान "मूक दर्शक" बनी रही थीं, जब भीड़ ने करक में ऐतिहासिक हिंदू मंदिर में आग लगा दी थी.भारत ने कहा कि यह बहुत बड़ी विडंबना है कि पाकिस्तान, जहां एक हिंदू मंदिर पर हाल ही में हमला किया गया था और अल्पसंख्यकों के अधिकारों का हनन किया गया, वह देश 'संस्कृति की शांति' पर UNGA प्रस्ताव का सह-प्रायोजक हैं. '
भारत ने संयुक्त राष्ट्र से कहा कि उसे और यूएन अलायंस ऑफ सिविलाइजेशन को जब तक चयनात्मक बची हुई है, किसी का पक्ष नहीं लेना चाहिए. भारत ने ये भी कहा कि हमें उन ताकतों के खिलाफ एकजुट होना होगा जो छलपूर्वक संवाद को हटाती हैं और शांति के स्थान पर घृणा और हिंसा को उत्पन्न करती हैं.
खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित मंदिर में किया गया था हमला
बता दें कि साल 2020 के दिसंबर महीने में खैबर पख्तूनख्वा प्रांत स्थित एक मंदिर के मरम्मत कार्य का विरोध कर रहे लोगों ने मंदिर में तोड़-फोड़ की थी और आग लगा दी थी, जिसके बाद पुलिस ने देश की एक कट्टरवादी इस्लामी पार्टी के 26 सदस्यों को इस मामले में गिरफ्तार भी कर लिया था. वहीं करक जिले में हुई इस घटना की मानवाधिकार कार्यकर्ताओं और अल्पसंख्यक हिंदू समुदाय ने निंदा की है.
पाकिस्तान में मानवाधिकारों के लिए संघीय संसदीय सचिव लाल चंद मल्ही ने इस हमले की कड़ी आलोचना की है. उन्होंने कहा कि कुछ लोग पाकिस्तान को बदनाम करने के लिए इस प्रकार की असामाजिक गतिविधियां कर रहे हैं, जिन्हें सरकार कतई बर्दाश्त नहीं करेगी. बाद में पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने भी मामले में सख्त रुख अपनाते हुए मंदिर को दोबारा बनाने का आदेश दिया था. भारत ने भी इस घटना को लेकर पाकिस्तान के समक्ष कड़ा विरोध दर्ज कराया था.
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