Maldives India Conflict : भारत ने मालदीव को ऐसा मुंहतोड़ जवाब दिया है कि वह हमेशा याद रखेगा. दरअसल, मालदीव ने आरोप लगाया था कि भारतीय सैन्य हेलिकॉप्टर के पायलटों ने 2019 में मालदीव में एक सीक्रेट ऑपरेशन चलाया था. अब भारतीय उच्चायोग ने मालदीव के सभी आरोपों को खारिज किया है. उच्चायोग ने कहा, मालदीव में जो भी ऑपरेशन चलाए गए वे सब मालदीव नेशनल डिफेंस फोर्स के साथ मिलकर चलाए गए. दरअसल, मालदीव के रक्षा मंत्री घासन मौमून ने 11 मई को कहा था कि 2019 में भारतीय सेना ने मालदीव के थिमाराफुशी में एक सीक्रेट हेलीकॉप्टर को उतारा था. ॉ
मौमून ने कहा कि मैंने संसद समिति की नेशनल सिक्योरिटी सर्विस की रिपोर्ट देखी, जिसमें ये बात सामने आई है. भारतीय उच्चायोग के मुताबिक, 9 अक्तूबर 2019 को चालक दल की सुरक्षा को ध्यान में रखते हुए थिमाराफुशी में एक आपातकालीन लैंडिंग जरूर की गई थी, लेकिन एयर ट्रैफिक कंट्रोल से इसकी मंजूरी ली गई थी, जबकि मालदीव ने 11 मई को बताया गया कि भारतीय सैनिकों ने लैंडिंग की जानकारी मालदीव की सेना को नहीं दी थी.
मालदीव के पास नहीं हैं सक्षम पायलट
वहीं, मालदीव से भारतीय सैनिकों के लौटने के बाद ये सवाल भी काफी उठा कि अब हेलिकॉप्टरों को कैसे उड़ाया जाएगा. इस पर मौमून ने कहा था कि भारतीय विमानों को चलाने के लिए सक्षम पायलट मालदीव की सेना के पास नहीं हैं. कुछ सैनिकों ने ट्रेनिंग शुरू की थी, लेकिन वे ट्रेनिंग के अलग-अलग चरणों को पार नहीं कर सके. इस समय हमारी सेना में कोई भी ऐसा व्यक्ति नहीं है, जिसके पास 2 हेलिकॉप्टर और डोर्नियर उड़ाने का लाइसेंस हो या वे इन्हें पूरी तरह ऑपरेट कर सके. दरअसल, भारतीय सैनिक पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद नशीद, अब्दुल्ला यामीन और इब्राहिम मोहम्मद सोलिह के कार्यकाल में मालदीव गए थे. इन सैनिकों का काम मालदीव की सेना को ट्रेनिंग देना था। हालांकि, मालदीव के सैनिक ट्रेनिंग पूरी नहीं कर पाए.
इंडिया आउट का दिया था नारा
मालदीव के राष्ट्रपति मोहम्मद मुइज्जू ने पिछले साल अपने चुनावी कैंपेन में भारतीय सैनिकों को देश से निकालने का मुद्दा उठाया था. उन्होंने इंडिया आउट के नारे भी लगाए. चुनावों में जीत के बाद मालदीव ने देश छोड़ने के लिए भारतीय सैनिकों के सामने 10 मई की डेडलाइन रखी थी, जो अब देश लौट आए.