संयुक्त राष्ट्रः भारत और कुछ अन्य एशियाई देशों ने शुक्रवार को संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकार प्रमुख मिशेल बैचेलेट द्वारा इन देशों में अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता हनन होने की टिप्पणी का जवाब देते हुए कहा कि सरकारें कोरोना वायरस महामारी के दौरान लोगों का जीवन बचाने पर ध्यान दे रही हैं और गलत जानकारियां लोगों के लिए खतरा बन सकती हैं.
संयुक्त राष्ट्र के मानवाधिकारों के लिए उच्चायुक्त ने तीन जून को एक बयान में कहा था कि बांग्लादेश, कंबोडिया, चीन, भारत, इंडोनेशिया, मलेशिया, म्यांमार, नेपाल, फिलीपीन, श्रीलंका, थाईलैंड और वियतनाम में प्रेस और सोशल मीडिया के माध्यम से असंतोष व्यक्त करने या कथित रूप से गलत जानकारी फैलाने वाले लोगों को गिरफ्तार किया गया है.
बैचेलेट ने इसे अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता का हनन बताते हुए कहा कि इन्हें रोकने के लिए की जाने वाली कार्रवाई संतुलित होनी चाहिए. जिनेवा में भारत के स्थायी मिशन और इंडोनेशिया, कंबोडिया, मलेशिया, म्यांमा, फिलीपीन, थाईलैंड और वियतनाम के स्थायी मिशनों द्वारा जारी संयुक्त प्रेस विज्ञप्ति में बैचेलेट की टिप्पणियों का दृढ़ता से जवाब दिया गया.
जवाब में कहा गया 'हमारी सरकारों का मुख्य उद्देश्य कोविड-19 से नागरिकों के अनमोल जीवन को बचाना है. ओएचसीएचआर (मानव अधिकारों के लिए संयुक्त राष्ट्र के उच्चायुक्त का कार्यालय) को दूसरे मुद्दों पर ना भटककर इस ओर ध्यान देते हुए जिम्मेदार भूमिका निभाने की आवश्यकता है.'
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