India In UNSC: फ्रांस के राष्ट्रपति इमैनुएल मैक्रों ने संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) में भारत की परमानेंट सीट यानि स्थाई सदस्यता को लेकर समर्थन किया है. गुरुवार (26 सितंबर) को फ्रांस के राष्ट्रपति ने संयुक्त राष्ट्र महासभा में कहा कि फ्रांस UNSC में परमानेंट सदस्यों की संख्या बढ़ाने को लेकर सकारात्मक सोच रखता है.
मैक्रों ने कहा कि न केवल भारत बल्कि जापान, जर्मनी, ब्राजील और दो अफ्रीकी देशों को शामिल करना चाहिए. उन्होंने ये भी कहा कि संस्था के कार्यों में सुधार और बदलाव की भी जरूरत है. बीते 21 सितंबर को क्वॉड देश की ओर से आए बयान में भी UNSC में सुधार की बात कही थी. यही नहीं बयान में अफ्रीकी, लैटिन अमेरिकी, एशियाई और कैरेबियाई देशों को जोड़ने की बात कही गई थी.
क्या बोले जयशंकर?
वहीं वैश्विक संकटों से निपटने में अमेरिका के सामने हाल ही में यूक्रेन युद्ध और गाजा के मुद्दों पर गतिरोध जैसे कई चुनौतियां आ गई है. इन स्थितियों ने इसकी प्रभावशीलता और विश्वसनीयता बढ़ाने के लिए UNSC से सुधार की मांग की है. इसको लेकर भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि जैसे-जैसे संयुक्त राष्ट्र के कमजोर होने की धारणाएं बढ़ती हैं वैसे-वैसे भारत के स्थाई सीट हासिल करने की संभावनाएं बढ़ती हैं.
उठ रही आवाज, भारत भी हो शामिल
संयुक्त राज्य अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया से मिलकर बने क्वॉड राष्ट्रों के अपने छठे शिखर सम्मेलन के दौरान एक संयुक्त बयान के बाद स्थाई सीट के लिए भारत के प्रयास ने हाल ही में गति तेज कर ली है. न केवल फ्रांस बल्कि अमेरिकी विदेश मंत्री एंटनी ब्लिंकिंन ने भी इस बात पर जोर दिया कि भारत, जापान और जर्मनी के लिए स्थाई सीट शामिल की जानी चाहिए. साथ ही अफ्रीका और अन्य क्षेत्रों के लिए प्रतिनिधित्व भी शामिल किया जाना चाहिए. ब्लिंकिंग की टिप्पणी यह बताती है कि भारत के शामिल होने से UNSC की वैधता और कार्यक्षमता में वृद्धि होगी.
चिली के राष्ट्रपति गेब्रियल बोरिक फॉन्ट ने भी सुरक्षा परिषद में भारत को शामिल करने की वकालत कर चुके हैं. भारत की यूएनएससी में स्थायी सदस्यता की मांग को जो बाइडेन सहित अन्य वैश्विक नेताओं का समर्थन मिला है. अमेरिकी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के साथ अपनी हालिया द्विपक्षीय बैठक के दौरान भारत की दावेदारी के लिए वाशिंगटन के पूर्ण समर्थन को दोहराया.
रूस भी स्थायी सीट के लिए भारत की मांग का समर्थन करता रहा है. देश के विदेश मंत्री सर्गेई लावरोव ने वार्षिक संयुक्त राष्ट्र कार्यक्रम के दौरान परिषद में विकासशील देशों के अधिक प्रतिनिधित्व की आवश्यकता पर जोर दिया.
सभी के पास होती है वीटो पावर
UNSC में इस समय केवल पांच देश ही स्थाई सदस्य है, जिनके पास वीटो पावर है. इनमें अमेरिका, चीन, फ्रांस, रूस और यूके शामिल है. इन पांच स्थाई सदस्यों के अलावा टीम में 10 गैर स्थाई सदस्य भी शामिल हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र महासभा की ओर से 2 साल के कार्यकाल के लिए चुना जाता है. वही स्थाई सदस्यों की बात करें तो चीन को छोड़कर सभी ने किसी न किसी तरह से UNSC के विस्तार को लेकर अपना-अपना समर्थन रखा है.
1945 में 50 देशों ने मिलकर की थी UNSC की स्थापना
द्वितीय विश्व युद्ध के बाद 1945 में 50 देशों ने मिलकर UNSC की नींव रखी थी. अब इसमें 193 देश मेंबर हैं. UNSC में जो पांच स्थाई सदस्य है, कोई भी प्रस्ताव पारित होने के लिए इन पांचों की सहमति बेहद जरूरी है. इन सब में किसी एक देश ने भी वीटो कर दिया तो प्रस्ताव खारिज हो जाता है. इसमें भारत का मानना है कि यह पांच देश 7 दशक पहले सदस्य बने थे, लेकिन बदलती दुनिया में अब और भी देशों को इसमें शामिल करना चाहिए.
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