India-Singapore Relations: राजनयिक से रणनीतिक साझेदारी के स्तर पर पहुंचा भारत-सिंगापुर का संबंध, क्या होता है यह ?
India-Singapore Relations: पीएम मोदी के हालिया सिंगापुर दौरे के दौरान दोनों देशों के बीच रणनीतिक साझेदारी और मजबूत हुई है. इस दौरान कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर दोनों देशों ने हस्ताक्षर किए.
India-Singapore Relations: भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी दो दिवसीय दौरे पर बुधवार को सिंगापुर पहुंचे और गुरुवार को दोनों देशों के बीच बड़े रणनीतिक समझौते हुए. भारत और सिंगापुर ने अपने संबंधों को अब ‘व्यापक रणनीतिक साझेदारी’ के स्तर तक पहुंचा दिया है. गुरुवार को दोनों देशों ने सेमीकंडक्टर उद्योग में सहयोग समेत कुल चार सहमति पत्रों पर हस्ताक्षर किए. इस दौरान सिंगापुर की कुछ कंपनियों ने आने वाले समय में भारत के अंदर 5 लाख करोड़ के निवेश की बात कही. पीएम मोदी ने सिंगापुर के प्रधानमंत्री लॉरेंस वोंग से मुलाकात के दौरान कहा कि वे भारत में कई सिंगापुर बनाना चाहते हैं. साथ ही उन्होंने सिंगापुर को विकासशील देशों के लिए रोल मॉडल कहा.
पीएमओ ने एक्स पर एक पोस्ट करते हुए कहा, 'प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पीएम लॉरेंस वोंग के बीच सार्थक बातचीत हुई. इस दौरान प्रौद्योगिकी, व्यापार, कौशल, स्वास्थ्य सेवा और अन्य कई क्षेत्रों में भारत-सिंगापुर साझेदारी को अधिक से अधिक बढ़ाने के तरीकों पर चर्चा की.' पीएम मोदी ने सिंगापुर के उद्यमियों और कई कंपनियों के सीईओ के साथ एक बैठक की. बैठक में पीएम ने सिंगापुर के उद्यमियों से भारत में विमानन, ऊर्जा और कौशल विकास के क्षेत्रों में निवेश के अवसरों को देखने के लिए न्योता दिया.
भारत और सिंगापुर के कब हुए राजनयिक संबंध
दरअसल, भारत और सिंगापुर ने 15 अगस्त 1965 को राजनयिक संबंध स्थापित किए थे. इसी दिन सिंगापुर को मलेशिया से आजादी मिली थी. इस औपचारिक राजनयिक संबंध से पहले भी भारत और सिंगापुर के बीच प्रवासी भारतीयों की वजह से 'आर्थिक और सांस्कृतिक' संबंध थे. साल 1965 में सिंगापुर को जब मलेशिया से आजादी मिली तो सिंगापुर को संप्रभु राष्ट्र के रूप में मान्यता देने वाले पहले देशों में भारत शामिल था.
रणनीतिक साझेदार के स्तर पर पहुंचे सिंगापुर-भारत के संबंध
पिछले कुछ दशकों में भारी निवेश की वजह से दोनों देशों के संबंध और मजबूत हुए हैं. भारत और सिंगापुर के बीच साल 2005 में एक व्यापक आर्थिक सहयोग समझौता हुआ था, जिसके बाद दोनों देशों के बीच आर्थिक सहयोग और द्विपक्षीय व्यापार में वृद्धि हुई. धीरे-धीरे यह संबंध अब रणनीतिक साझेदार के स्तर तक पहुंच गया है. दोनों देश अब एक दूसरे की क्षेत्रीय सुरक्षा, स्थिरता और साझा हितों पर महत्वपूर्ण सहयोग कर रहे हैं. इसके साथ ही दोनों देशों के बीच कई शैक्षिक और सांस्कृतिक आदान-प्रदान भी हुए हैं. इसके अलावा सिंगापुर भारतीयों का एक महत्वपूर्ण घर है, जिससे द्विपक्षीय संबंधों को और मजबूती मिलती है.
भारत-सिंगापुर के व्यापारिक संबंध
सिंगापुर भारत का छठा सबसे बड़ा व्यापारिक भागीदार है. सिंगापुर के साथ भारत अपने कुल व्यापार का 3.2 फीसदी हिस्सा साझा करता है. साल 2005 में दोनों देशों के बीच हुए आर्थिक समझौते के बाद उस वर्ष 6.5 बिलियन डॉलर का व्यापार हुआ था, जो साल 2022-23 में बढ़कर 35.6 बिलियन डॉलर का हो गया. साल 2023-24 में सिंगापुर से भारत का आयात 21.2 बिलियन डॉलर रहा, जबकि निर्यात 14.4 बिलियन डॉलर रहा. 2022-23 में यह आंकड़ा 12 बिलियन डॉलर का था, यानी एक साल के भीतर 20 फीसदी की बढ़ोत्तरी हुई है.
सिंगापुर की आबादी में भारतीयों का बड़ा हिस्सा
इन स्थितियों के अलावा करीब 9 हजार भारतीय कंपनियां सिंगापुर में रजिस्टर्ड हैं, वहीं सिंगापुर की 440 कंपनियां भारत में रजिस्टर्ड हैं. इसके साथ ही सिंगापुर की कुल 39 लाख की आबादी में 9.1 फीसदी हिस्सा भारतीयों का है. संख्या के लिहाज से 3.5 लाख भारतीय सिंगापुर में रहते हैं. सिंगापुर में ज्यादातर भारतीय वित्तीय सेवाओं, आईटी, कंस्ट्रक्शन और शिपिंग कंपनियों में काम करते हैं. इसके अलावा लाखों छात्र सिंगापुर में रहते हैं.