Khalistan Referendum In Canada: न्यूयॉर्क (New York) में महात्मा गांधी (Mahatma Gandhi) की प्रतिमा के साथ तोड़फोड़ करने के एक महीने बाद कनाडा (Canada) में एक हिंदू मंदिर (Hindu Temple) की दीवारों पर भारत विरोधी चित्र बनाए गए. इस मंदिर की दीवारों पर खालिस्तान जिंदाबाद और हिंदुस्तान मुर्दाबाद लिखा गया. कनाडा में खालिस्तानी मूवमेंट (Khalistani Movement) तेज हो चला है. इस बात को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार (Narendra Modi Government) ने चिंता जताई है और कनाडा को आगाह भी किया है.
कनाडा में 6 नवंबर को होने वाले खालिस्तान जनमत संग्रह को लेकर नरेंद्र मोदी सरकार ने जस्टिन ट्रूडो सरकार को सीमांकन दिया है. इस सीमांकन में जनमत संग्रह को रोकने के लिए कहा है. भारत सरकार ने कनाडा सरकार को कहा है कि ये जनमत संग्रह भारत की संप्रभुता और अखंडता को चुनौती देता है. जबकि 16 सितंबर को कनाडा की सरकार ने कहा था कि वह भारत की क्षेत्रीय अखंडता और संप्रभुता का सम्मान करती है और तथाकथित जनमत संग्रह को मान्यता नहीं देती है.
18 सितंबर को भी आयोजित हुआ जनमत संग्रह
6 नवंबर को होने वाला तथाकथित जनमत संग्रह ओंटारियो के एक शहर में हो रहा है. पहला जनमत संग्रह 18 सितंबर, 2022 को ओंटारियो के ब्रैम्पटन में आयोजित किया गया था. भारत ने सिख चरमपंथी जीएस पन्नू के चलाए जा रहे एसएफजे के मुद्दे को कनाडा सरकार और राष्ट्रीय सुरक्षा एजेंसियों के साथ उठाया था. इसके बावजूद कनाडा में खालिस्तान में जनमत संग्रह हुआ. इस पर ट्रूडो सरकार का कहना था कि उनके देश में व्यक्तियों को अपने विचार व्यक्त करने का अधिकार है, अगर वो कानून के दायरे में और शांतिपूर्ण तरीके से करते हैं तो.
ट्रूडो सरकार ने नहीं उठाए कोई कदम
इस मामले को लेकर ट्रूडो सरकार (Trudeau Government) ने भारत विरोधी ताकतों को रोकने के लिए कोई कदम नहीं उठाए और अपनी वोट बैंक की पॉलिटिक्स चमकाई. ये बात अलग है कि पीएम ट्रूडो ने यूक्रेन (Ukraine) के अधिकृत पूर्वी हिस्सों में रूस के आयोजित तथाकथित जनमत संग्रह के खिलाफ कड़ा ट्वीट किया. तो वहीं, भारतीय सुरक्षा एजेंसियों (Indian Security Agencies) ने कनाडा (Canada) की एजेंसियों को आगाह करते हुए कहा भी वे पन्नू जैसे सिख चरमपंथियों को खालिस्तान के नाम पर सिख युवाओं और समुदाय को बड़े पैमाने पर कट्टरपंथी बनने से नहीं रोककर आग से खेलने का काम कर रहे हैं.
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