Dr Abdulnasser Alshaali on Narendra Modi: मिडिल ईस्ट के संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक तिहाई भारतीय आबादी है, वहां राजदूत डॉ अब्दुल नासेर अल्सहाली भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के मुरीद हुए हैं. उनका मानना है कि पीएम मोदी के आने (दौरे के संदर्भ में) के बाद इंडिया से उनके देश के रिश्ते और मधुर हुए हैं. दोनों देशों के बीच पहले के मुकाबले ढेर सारी चीजें बदली हैं.
यूएई के एंबैसडर ने ये बातें 'बियर बाइसेप्स' यूट्यूब चैनल के साथ पॉडकास्ट के दौरान कहीं. उनके मुताबिक, "भारत आने से पहले यूएई के नागरिक होने के नाते मैंने देखा है कि कैसे विकास हुआ है और कैसे चीजें अलग दिशा में गई हैं. ईमानदारी से बताऊं तो इस रिश्ते की हमें जरूरत थी. आप चाहे भारतीय या फिर अमीराती के नाते भारत और यूएई को देखिए, दोनों देशों के बीच की दूरी पार करने में ढाई से साढ़े तीन घंटे का समय लगता है...यह इस पर भी निर्भर करता है कि आप कौन से शहर से किस जगह का फासला तय कर रहे हैं. हमारे यहां अच्छी-खासी तादाद में भारतीय आबादी रहती है. इसके बाद भी पहले इस रिश्ते में वैसी मधुरता नहीं थी. इसी बीच, पीएम मोदी आते हैं और वह संबंधों को अलग दिशा में लेकर जाते हैं. आगे दोनों देशों के नेताओं के बीच संबंध और बेहतर होते हैं. आप यूएई की आबादी देखिए, वहां की एक तिहाई आबादी भारतीय है. मुझे लगता है कि यह तो बस रिश्ते की शुरुआत है."
UAE के लोग नरेंद्र मोदी के बारे में क्या सोचते हैं?
यह पूछे जाने पर कि यूएई के लोग प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी को किस तरह से देखते हैं और वह उनके बारे में क्या सोचते हैं? डॉ अब्दुल नासेर अल्सहाली ने बताया- हम जब उनके (भारतीय पीएम) पहले यूएई दौरे की तैयारी कर रहे थे, तब मैं वहां मौजूद था. मुझे तब वहां उत्साह नजर आ रहा था. ऐसा इसलिए क्योंकि हर किसी को दिख रहा था कि यह घटनाक्रम (पीएम मोदी का दौरा) ऐसा मुमेंटम (दोनों देशों के बीच अच्छे संबंधों के संदर्भ में) पैदा करेगा, जो आगे रुकेगा नहीं. आप तब और अब के समय को देखेंगे तो पाएंगे कि यह सिर्फ रिश्ते की बात नहीं है. आप दो नेताओं के बीच के संबंध देखिए, जिसमें बेहद खास और अलग किस्म का करिश्मा है. इसने भी दोनों देशों के रिश्तों को मधुर बनाने में मदद की और इसी के चलते मुझे लगता है कि यूएई में पीएम मोदी के बारे में लोग सकारात्मक रूप सोच रखते हैं.
डॉ अब्दुल नासेर अल्सहाली के मुताबिक, "आप जब किसी एक देश में दूसरे मुल्क के नेता को आते देखते हैं तब वह घटनाक्रम सुर्खियों में रहता है. फिर कुछ ही समय के अंतराल में आपको और उच्च स्तरीय दौरों के बारे में पता चलता है. ऐसे में यह सब बहुत अहम हो जाता है. दौरे से पहले या दौरे के बाद आपको हर बार कुछ न कुछ देखने को मिलता है. अगर एमओयू साइन नहीं होता है या फिर कोई उद्घाटन नहीं होता है तब कोई कार्यक्रम या फिर सांस्कृतिक समारोह होता है. ये सारी चीजें देखने के बाद बड़ा मुश्किल हो जाता है कि आप किसी देश के बड़े फैन न हों. आप दोनों देशों के संबंधों को लेकर तब बेहद उत्साहित हो जाते हैं. मुझे लगता है कि पिछले कुछ सालों में जो कुछ भी हुआ है, वह दोनों देशों के रिश्तों को अलग ही स्तर पर लेकर गया है."