अमेरिका की देरी से भारत के तेजस प्रोजेक्ट पर असर, इंडिया ने ले लिया ये फैसला
अमेरिकी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा भारत को तेजस लड़ाकू विमानों के इंजन की समय पर डिलीवरी न करने से भारतीय वायु सेना की तैयारियों पर असर पड़ा है. जानें कैसे इस देरी ने रक्षा संबंधों को प्रभावित किया है.
Tejas engine Deal: भारतीय वायुसेना को तेजस लड़ाकू विमान के इंजन की सप्लाई में देरी से असर पड़ रहा है. अमेरिकी कंपनी जनरल इलेक्ट्रिक द्वारा समय पर इंजन नहीं देने से यह मामला भारत-अमेरिका के रक्षा संबंधों में एक नया मोड़ ले रहा है.
तेजस विमान के लिए भारतीय वायु सेना को एडवांस इंजन की जरूरत है, ताकि यह विमान शानदार प्रदर्शन कर सके. भारत ने 2021 में GE के साथ 99 इंजनों का करार किया था, लेकिन अब तक ये समय पर डिलीवरी नहीं हो पाए हैं. इससे भारतीय वायु सेना को नई रणनीति अपनानी पड़ी है. इस देरी के कारण भारतीय वायु सेना को पुराने रिजर्व इंजनों के साथ परीक्षण जारी रखना पड़ा है. इससे न केवल लड़ाकू क्षमता पर प्रभाव पड़ा है, बल्कि सैन्य तैयारियों में भी देरी हो रही है.
देरी के कारण और भारत की प्रतिक्रिया
मार्च 2023 में डिलीवरी शुरू होनी थी, लेकिन अमेरिकी कंपनी GE द्वारा एक और साल की देरी की सूचना के बाद अब अप्रैल 2025 से इंजन मिलने की उम्मीद है. इस बार भारत की सरकार ने GE पर जुर्माना भी लगाया है. भारत ने साफ कर दिया है कि अनुबंध का पालन न होने पर दंडात्मक कार्रवाई की जाएगी. हाल ही में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका दौरे पर इस मुद्दे को प्राथमिकता से उठाया था. GE का दावा है कि दक्षिण कोरियाई सप्लायर से आपूर्ति में परेशानी होने के कारण यह देरी हुई है.
भारतीय रक्षा मंत्रालय ने GE से की मांग
रिपोर्ट के अनुसार, GE के साथ दक्षिण कोरियाई कंपनी की वित्तीय समस्याएं भी इस देरी का कारण बनीं हैं. इससे निपटने के लिए भारतीय रक्षा मंत्रालय ने GE से तकनीकी हस्तांतरण की मांग की है, जिससे भारत में ही इंजन का निर्माण किया जा सके. विश्लेषकों का मानना है कि यह भारत की आत्मनिर्भरता की दिशा में एक बड़ा कदम हो सकता है. भारत ने हाल के वर्षों में अपने रक्षा उत्पादन में आत्मनिर्भरता को बढ़ाने की कोशिश की गई है.
भारत की सैन्य तैयारियों पर देरी का प्रभाव
तेजस परियोजना पर इस देरी का असर भारत की सैन्य तैयारियों पर पड़ता दिखाई दे रहा है. भारतीय वायु सेना ने हिंदुस्तान एयरोनॉटिक्स लिमिटेड को कई तेजस विमानों का आदेश दिया है, लेकिन इंजन की देरी से पूरी परियोजना प्रभावित हो रही है. HAL के पास अभी 5 से 6 विमानों के निर्माण की क्षमता है, जो अगले साल तक 24 विमानों तक पहुंच सकती है. हालांकि, यह सब GE की समय पर आपूर्ति पर निर्भर करता है.
ये भी पढ़ें: India-China Dispute: भारत-चीन बॉर्डर पर टेंशन हुई कम तो अमेरिका क्या बोला? अपने रोल को लेकर भी दिया जवाब