Morgan Stanley India Report : चीन दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था बनने की ओर अग्रसर है. आर्थिक विशेषज्ञों का कहना है कि अगले एक दशक में वो अमेरिका को पीछे छोड़ देगा. मगर, दुनिया की बड़ी कंपनियां चीन के दावों को झुठला रही हैं. कई कंपनियां ऐसी हैं, जिन्होंने चीन से अपना बोरिया बिस्तर समेट लिया और ​भारत चली आईं.


अमेरिकी इंवेस्टमेंट बैंकिंग कंपनी मॉर्गन स्टेनली की रिपोर्ट में कहा गया है कंपनियों के लिए भारत में मैन्युफैक्चरिंग बढ़ने के अनुकूल हालात हैं. मॉर्गन स्टेनली के मुताबिक, दुनिया की बड़ी कंपनियां रिस्क कम करने और चीन—अमेरिका जैसे बड़े देशों की तकरार से बचने के लिए सप्लाई चेन में तब्दीली ला रही हैं. इसका सबसे ज्यादा फायदा भारत, मैक्सिको और दक्षिण पूर्वी एशिया के देशों को मिलेगा. जिसके चलते 8 साल में ही भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस तीन गुना तक हो सकता है. मॉर्गन स्टेनली के अधिकारियों ने कहा कि आने वाले समय में भारत ढेर सारे प्रोडक्ट की मैन्युफैक्चरिंग करेगा.




8 साल में ही भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस 3 गुना बढ़ जाएगा
मॉर्गन स्टेनली (Morgan Stanley) की ओर से कहा गया, "2031 हम भारत में मैन्युफैक्चरिंग बेस को तीन गुना होते हुए देखते हैं. तब तक भारत के सकल घरेलू उत्पाद में मैन्युफैक्चरिंग हिस्सेदारी 16% से 21% तक बढ़ जाएगी. इससे भारत में रोजगार के मौके भी पैदा होंगे."


चीन और अमेरिका के ट्रेड वॉर से भारत को हुआ था फायदा
इससे पहले जब ट्रंप के कार्यकाल में अमेरिका और चीन के बीच ट्रेडवॉर शुरू हुआ था, तो कई अमेरिकन कंपनियां चीन छोड़कर दूसरे देशों में जाने लगीं. इनमें से कई कंपनियों ने भारत में अपने दफ्तर खोले. अब तो यहां एपल का भी दफ्तर खुल चुका है. इको​नॉमिक एक्सपर्ट्स कहते हैं कि ट्रेड वॉर अभी खत्म नहीं हुआ है. चीन ने कई अमेरिकी प्रोडक्ट्स को बैन कर दिया है, उधर अमेरिका में भी एक राज्य ने टिकटॉक पर बैन लगाया है. वहां चीन के ऐप्स की पहुंच ही सीमित नहीं की जा रही, अपितु चाइनीज टेक्नोलॉजी की पहुंच को भी बाधित किया जा रहा है.


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