TIME Kid of the Year: 15 साल की भारतवंशी गीतांजलि राव बनीं पहली 'किड ऑफ द ईयर'
गीतांजलि ने कहा, 'हर समस्या का हल करने की कोशिश ना करें, बल्कि उस एक पर ध्यान केंद्रित करें जो आपको उकसाता हो. यदि मैं यह कर सकती हूं तो कोई भी यह कर सकता है.'
न्यूयॉर्क: भारतीय मूल की 15 साल की अमेरिकी किशोरी गीतांजलि राव को उनके शानदार काम के लिए टाइम मैगजीन ने पहला 'किड ऑफ द ईयर' के रूप में नामित किया है. गीतांजलि एक मेधावी युवा वैज्ञानिक और आविष्कारक हैं. उन्होंने टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल कर दूषित पेयजल से लेकर अफीम की लत और साइबर धौंस जैसे मुद्दों से निपटने के मामले में शानदार काम किया है. टाइम ने कहा, "यह दुनिया उन लोगों की है जो इसे आकार देते हैं."
टाइम की पहली 'किड ऑफ द ईयर' के लिए 5000 से अधिक दावेदारों में से गीतांजलि का चयन किया गया. टाइम स्पेशल के लिए अदाकारा और सामाजिक कार्यकर्ता एंजलीना जोली ने उनका इंटरव्यू लिया.
Introducing the first-ever Kid of the Year, Gitanjali Rao https://t.co/Hvgu3GLoNs pic.twitter.com/4zORbRiGMU
— TIME (@TIME) December 3, 2020
"समस्या का हल करने की कोशिश न करें, बल्कि ध्यान केंद्रित करें " गीतांजलि ने कोलोरैडो स्थित अपने घर से जोली के साथ डिजिटल माध्यमों से की गई बातचीत के दौरान अपनी प्रक्रियाओं के बारे में कहा, 'अवलोकन करें, सोच विचार करें, अनुसंधान करें, निर्मित करें और उसे बताएं.'
टाइम के मुताबिक किशोरी ने कहा, 'हर समस्या का हल करने की कोशिश ना करें, बल्कि उस एक पर ध्यान केंद्रित करें जो आपको उकसाता हो. यदि मैं यह कर सकती हूं तो कोई भी यह कर सकता है.'
"जो समस्याएं हमने पैदा नहीं की, उनका तकनीक के जरिए हल करना है" गीतांजलि ने कहा कि उसकी पीढ़ी कई समस्याओं का सामना कर रही है जो पहले कभी नहीं आई थी. किशोरी ने कहा, 'लेकिन साथ ही, हम पुरानी समस्याओं का भी सामना कर रहे हैं जो अब भी मौजूद है. जैसे कि हम यहां एक नयी वैश्विक महामारी का सामना कर रहे हैं और हम अब भी मानवाधिकारों के मुद्दे का सामना कर रहे हैं. ऐसी समस्याएं हैं जो हमने पैदा नहीं की हैं लेकिन उनका अब हमें तकनीक के जरिए हल करना है, जैसे कि जलवायु परिवर्तन और साइबर धौंस.'
किशोरी ने कहा कि जब वह दूसरी या तीसरी ग्रेड में थी तभी से उसने यह सोचना शुरू कर दिया था कि वह विज्ञान और तकनीक का इस्तेमाल किस तरह से सामाजिक बदलाव लाने में कर सकती है. किशोरी ने बताया कि वह जब 10 साल की थी तब उसने अपने माता पिता से कहा था कि वह कार्बन नैनो ट्यूब सेंसर टेक्नोलॉजी पर डेनवर वाटर क्वॉलिटी रिसर्च लैब में रिसर्च करना चाहती है.
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