अमेरिका में इस समय 2 करोड़ 24 लाख एशियाई मूल के लोग रहते हैं. इनमें सबसे ज्यादा चीन और भारत के लोग हैं. जो लोग वहां जाकर बसे हैं, उन्हें लेकर बाहर के लोगों में यह धारणा है या ऐसा माना जाता है कि ये लोग बहुत अच्छी कमाई करते हैं और अच्छा लाइफस्टाइल फॉलो करते हैं. हालांकि, सच कुछ और ही है. यहां रहने वाले एशियाई मूल के लोग गरीबी में अपना जीवन बसर कर रहे हैं. ये बात प्यू रिसर्च सर्वे में कही गई है.
अमेरिकी थिंक टैंक प्यू रिसर्च ने साल 2022 में एक सर्वे किया था, जिसमें यह आंकड़ा सामने आया है. अमेरिका की जनगणना के आंकड़ों से पता चला कि यहां रहने वाले 10 एशियाई लोगों में से एक गरीब है, लेकिन भारतीय अमेरिकी अच्छी स्थिति में हैं. सबसे कम गरीबी इसी समुदाय में देखी गई है.
भारतीय अमेरिकियों की गरीबी दर (Poverty Rate) 6 फीसदी है, जो कि सबसे कम है. वहीं, सबसे ज्यादा गरीबी दर बर्मा और हमोंग अमेरिकियों की है. बर्मा अमेरिकियों की पोवर्टी रेट 19 फीसदी और हमोंग अमेरिकियों की गरीबी दर 17 फीसदी है. गरीबी में रह रहे एशियाई लोगों की 26 फीसदी आबादी अमेरिका के बड़े शहरों में रहती है. न्यूयॉर्क, लॉस एंजिलिस और सैन फ्रांसिस्को में रहने वाले एक लाख एशियाई गरीब हैंत
38 फीसदी एशियाई अमेरिकी फूड बैंक पर निर्भर
प्यू रिसर्च ने 2022 से 2023 के बीच यह सर्वे किया था, जिसमें देखा गया कि हर 10 में से 8 अमेरिकी एशियाई वयस्क यानी 79 फीसदी गरीब हैं या आर्थिक तंगी से जूझ रहे हैं. वहीं, 48 फीसदी गरीबी रेखा से ऊपर हैं, लेकिन वह उन्हें भी कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है. गरीबी में रह रहे 38 फीसदी अमेरिकी एशियाई वयस्क खाने के लिए फूड बैंक, चैरिटेबल संगठनों की ओर से दिए जाने वाले खाने पर निर्भर हैं. 57 फीसदी एशियाई इमरजेंसी या भविष्य के लिए सेविंग्स नहीं कर पाते हैं, जबकि गरीबी रेखा से ऊपर जीने वाले 40 फीसदी एशियाई भी सेविंग्स नहीं कर पाते हैं
2019 के आंकड़ों के हिसाब से अभी अमेरिका में एशियाई मूल के 2 करोड़ 24 लाख लोग रहते हैं. इनमें सबसे ज्यादा संख्या चीनी मूल के नागरिकों की है. इसके बाद भारतीय मूल के लोग हैं. अमेरिका में रहने वाले भारतीयों की जनसंख्या 48 लाख है, जिनमें से 16 लाख से ज्यादा के पास वीजा है, जबकि 10 लाख से वो लोग हैं जो अमेरिका में ही पैदा हुए हैं.