नई दिल्ली: भारत और चीन के बीच डोकलाम को लेकर बढ़ते तनाव के बीच तीन के सरकारी अखबार ग्लोबल टाइम्स ने कहा है कि युद्ध का काउंटडाउन शुरू हो चुका है. वहीं दूसरी और आधिकारिक सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक भारतीय सेना डोकलाम में ‘न लड़ाई, न शांति’ की दशा में है और इलाके में यथास्थिति बनी हुई है.
सूत्रों का कहना है कि इलाके में सैनिकों या हथियारों की कोई खास आवाजाही नहीं हो रही है. जो भी आवाजाही हो रही है वह रखरखाव के लिए है. सुकना के 33 वीं कोर से सैनिक भेजने की खबरों के बारे में पूछा गया तो उन्होंने कि भारत-भूटान-चीन सीमा पर सैन्यकर्मियों की संख्या में कोई वृद्धि नहीं हुई है. सूत्रों ने कहा कि डोकलाम में हम न लड़ाई, न शांति की दशा में हैं.
सैन्य बोलचाल में न लड़ाई, न शांति का मतलब दुश्मन के साथ टकराव या आमने-सामने होना होता है.
भारत और चीन सिक्किम सेक्टर के डोकलाम इलाके में पिछले 50 दिनों से एक दूसरे के आमने सामने हैं. उससे पहले भारतीय सैनिकों ने चीनी सैनिकों को इस इलाके में सड़क बनाने से रोक दिया था.
चीन ने दावा किया है कि वह अपने क्षेत्र में सड़क बना रहा है और वह विवादास्पद डोकलाम पठार से भारतीय सैनिकों की वापसी की मांग कर रहा है. भूटान का कहना है कि डोकलाम उसका क्षेत्र है लेकिन चीन उस पर अपना दावा बताता है। चीन यह भी कहता है कि इस इलाके को लेकर उसका भूटान से कोई विवाद नहीं है.
हमारी सेना हर चुनौती के लिए तैयार-जेटली
चीन के साथ चल रहे सीमा विवाद के बीच रक्षा मंत्री अरुण जेटली नेकहा कि भारत ने 1962 में चीन के साथ हुए युद्ध से सबक हासिल किया है, साथ ही उन्होंने जोर देकर कहा कि भारतीय सेनाएं अब किसी भी चुनौती का सामना कर सकती हैं. राज्यसभा में भारत छोड़ो आंदोलन की 75वीं वर्षगांठ पर आयोजित विशेष सत्र की शुरुआत करते हुए जेटली ने कहा, "1962 में चीन के साथ हुए युद्ध से हमने सबक लिया है कि हमारे सुरक्षा बलों को पूरी तरह तैयार रहना होगा. तैयारियों का परिणाम हमें 1965 और 1971 में देखने को मिला। हमारी सेनाएं मजबूत होती गई हैं."
जेटली ने कहा, "कुछ लोग हमारे देश की संप्रभुता और अखंडता के खिलाफ मंसूबा रखते हैं. लेकिन मुझे पूरा भरोसा है कि हमारे बहादुर सैनिक हमारे देश को सुरक्षित रखने में सक्षम हैं, चाहे चुनौती पूर्वी सीमा पर हो या पश्चिमी सीमा पर."