Commander Sugunakar Pakala: जानें कौन हैं भारतीय कमांडर सुगुनाकर पकाला, जिन्हें कतर की अदालत ने दी है सजा ए मौत
Commander Sugunakar Pakala: कमांडर सुगुनाकर पकाला भी उन आठ पूर्व भारतीय नौसैनिक अधिकारियों में शामिल हैं, जिन्हें कतर की अदालत ने मौत की सजा सुनाई है.
Sugunakar Pakala: कतर में मौत की सजा का सामना कर रहे आठ पूर्व भारतीय नौसैनिक अधिकारियों में से एक कमांडर सुगुनाकर पकाला भी है, जिन्होंने अपने 25 साल के शानदार करियर में एक महत्वपूर्ण उपलब्धि हासिल की है. दरअसल, उन्होंने नौसेना के एकमात्र पाल जहाज आईएनएस तरंगिनी को दो बार भूमध्य रेखा को पार कराया है. विशाखापत्तनम में 54 वर्षीय सुगुनाकर का परिवार और उनके दोस्त कतरी अदालत की सजा के बाद सदमे में हैं.
कमांडर सुगुनाकर पकाला के प्रियजनों को उम्मीद है कि भारत सरकार 18 दिसंबर से पहले इस मामले में हस्तक्षेप कर उनकी रिहाई कराएगी. 18 दिसंबर की तारीख इसलिए महत्वपूर्ण है कि इस दिन पकाला का जन्मदिन होता है. कतर के अदालत के फैसले के बाद उनके घर पर रिश्तेदार और दोस्तों का जमावड़ा लगा हुआ है. उनकी पत्नी, बेटे और बेटी को सांत्वना देने के लिए लोग उनके घर आ रहे हैं.
पकाला ने अपने करियर में किया शानदार काम
टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के अनुसार, सुगुनाकर 18 साल की उम्र में नौसेना में शामिल हुए थे. उन्होंने विभिन्न इकाइयों और जहाजों पर सेवा के साथ नौसेना इंजीनियरिंग कोर में काम किया है. उनका एक सफल नौसैनिक करियर था, जिसमें मुंबई, अंडमान और निकोबार द्वीप समूह और विशाखापत्तनम में पोस्टिंग के दौरान उन्होंने शानदार काम किया है.
सैनिक स्कूल से पढ़े हैं सुगुनाकर
सुगुनाकर ने 1984 तक विजयनगरम के कोरुकोंडा सैनिक स्कूल में पढ़ाई की. फिर उन्होंने विशाखापत्तनम स्टील प्लांट में केंद्रीय विद्यालय में दाखिला लिया, जहां उनके पिता प्रिंसिपल के रूप में कार्यरत थे. सुगुनाकर ने नेवल कॉलेज ऑफ इंजीनियरिंग से बीटेक (मैकेनिकल) की डिग्री हासिल की है. इसके साथ ही उन्होंने डिफेंस सर्विसेज स्टाफ कॉलेज, वेलिंगटन से रक्षा और रणनीतिक अध्ययन (स्ट्रैटेजिक स्टडी) में एमएससी किया है. वो 20 नवंबर, 2013 को नौसेना से सेवानिवृत्त हुए थे. बाद में वो अल दाहरा ग्लोबल टेक्नोलॉजीज में शामिल हो गए, जिसने कतर की सेना को प्रशिक्षण और रसद सहायता प्रदान की.
निर्दोष है सुगुनाकर
कमांडर सुगुनाकर पकालाको बचपन से जानने वाले ए कृष्णा ब्रह्मम ने टाइम्स ऑफ इंडिया से बातचीत में बताया कि सुगुनाकर निर्दोष है. मैं उसे तब से जानता हूं जब वह बच्चा था. वह केंद्रीय विद्यालय में मेरे बेटे रघु का सहपाठी था. वह एक सज्जन व्यक्ति है और कभी भी किसी असामाजिक या आपराधिक गतिविधियों में शामिल नहीं होता है.
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