भारतीय कंपनियों के एच 1बी वीजा आवेदनों में अचानक से आई गिरावट
सान फ्रांसिस्को क्रोनिकल्स के संपादकीय बोर्ड का कहना है कि एच-1 बी वीजा के आवेदकों को लगता है कि इसके लिए उन्हें हाल के सालों की सबसे कड़ी प्रक्रिया से गुजराना पड़ सकता है.
वाशिंगटन: भारतीय सूचना तकनीकी कंपनियों के एच-1बी वीजा आवेदनों में इस बार आश्चर्यजनक गिरावट आई है. इसके अलावा डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन के कड़े इमीग्रेशन रुख से विदेशी प्रोफेशनल भी अमेरिकी कंपनी में आने से कतरा रहे हैं. सिलिकॉन वैली के एक प्रमुख अखबार ने यह खबर दी है.
सान फ्रांसिस्को क्रोनिकल्स के संपादकीय बोर्ड का कहना है कि एच-1 बी वीजा के आवेदकों को लगता है कि इसके लिए उन्हें हाल के सालों की सबसे कड़ी प्रक्रिया से गुजरना पड़ सकता है. इससे आवेदक और उन्हें नौकरी देने वाली अमेरिकी कंपनियां, दोनों ही प्रभावित हुए हैं.
अखबार ने कहा, "भारतीय सलाहकार कंपनियों की ओर से भारी संख्या के एच-1 बी वीजा के आवेदन आते थे. उनके आवेदनों की संख्या में आश्चर्यजनक गिरावट आई है. विदेशी अमेरिकी कंपनियों में आने से कतरा रहे हैं."
एच-1 बी वीजा कार्यक्रम के तहत अमेरिकी कंपनियां विशेषज्ञता वाले पदों पर दूसरे देशों के पेशेवरों की नियुक्ति करती हैं. अमेरिका की तकनीकी कंपनियां हर साल इस वीजा के जरिये हजारों चीनी और भारतीय पेशेवरों की नियुक्ति करती हैं.
वॉल स्ट्रीट जर्नल का कहना है कि अभी तक जो चीजें सामने आ रही हैं उनसे पता चलता है कि एच-1 बी वीजा की मांग घट रही है. इंडीड हायरिंग लैब के अर्थशास्त्री डेनियल कल्बर्टसन ने कहा कि एच-1 बी वीजा के बारे में खोज (सर्च) 2017 की तुलना में 2018 में काफी कम हो गई है.