Indian Diplomacy: पूरी दुनिया में इस समय भारत की डिप्लोमेसी का डंका बज रहा है. हाल ही में भारत और यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन (EFTA) के चार देशों के बीच अहम समझौता हुआ है. इस समझौते के बाद स्विट्जरलैंड ने भारत की डिप्लोमेसी की तारीफ की है. स्विट्जरलैंड की आर्थिक मामलों की सचिव हेलेना बुडलिगर आर्टिडा ने कहा कि भारत और ईएफटीए के बीच हुआ समझौता कोई छोटी-मोटी डील नहीं है. इसको लेकर मैराथन बातचीत का दौर चला है. इसके पहले अमेरिकी रिपोर्ट में दावा किया गया था की पीएम मोदी के कहने पर रूस ने यूक्रेन पर न्यूक्लियर हमले को रोक दिया है.


इंडिया टुडे की रिपोर्ट के मुताबिक, ईएफटीए के चार सदस्य देशों में स्विट्जरलैंड, आइसलैंड, नॉर्वे और लिकटेंस्टाइन शामिल हैं. स्विट्जरलैंड की सचिव हेलेना ने कहा, हमने इस डील को लेकर पूरी शिद्दत के साथ बातचीत की है. हम जानते थे कि अगर यह डील संतुलित और निष्पक्ष रूप से पक्की होती है तो दोनों पक्षों को फायदा होगा. इस डील के तहत स्विट्जरलैंड भारत में अगले 15 वर्षों में 100 अरब डॉलर का निवेश करेगा. इससे भारत में 10 लाख रोजगार लोगों को रोजगार मिलेगा.


'डील के तहत भारत के 10 लाख लोगों को मिलेगा रोजगार'
स्विट्जरलैंड की सचिव हेलेना ने इस ट्रेड के बाद भारत को 'टफ निगोशिएटर' कहा है. हेलेना ने बताया कि इस समझौते के तहत स्विट्जरलैंड के सामानों को भारतीय बाजारों में इंट्री मिलेगी, लेकिन उसके बदले हमें भारत में 10 अरब डॉलर का निवेश करना है और 10 लाख रोजगार का सृजन करना है. हेलेना ने आगे कहा, हमको बताया गया था कि भारत के बाजारों में इतनी आसानी से एक्सेस नहीं मिलने वाला है. इसके लिए पहले टैरिफ रेट तय किए जाएंगे. हेलेना ने कहा इसके लिए हमें एमओयू साइन करने की जरूरत थी, हम पूरी प्रक्रिया को समझते हैं और हमने जरूरी नियमों का पालन भी किया. 


इस समझौते से भारत को क्या होगा फायदा?
इस समझौते के तहत भारत के औद्योगिक सामानों की EFTA देशों में शुल्क रहित एंट्री मिलेगी, वहीं भारत में EFTA देशों को मेडिकल से जुड़े कुछ सामानों और प्रोसेस्ड फूड में लगने वाले शुल्क में रियायत दी जाएगी. इस समझौते में सर्विस सेक्टर भी शामिल हैं. भारत ने अपने 105 सर्विस सेक्टर जैसे- आईटी, शिक्षा, बिजनेस केयर और हेल्थकेयर आदि में सहयोग का वादा किया है. 


क्या है फ्री ड्रेड एग्रीमेंट?
फ्री ट्रेड एग्रीमेंट के तहत दो या उससे अधिक देशों के बीचे व्यापार के नियमों में ढील दी जाती है. इस दौरान दो देशों के बीच होने वाले आयात-निर्यात में सेवा शुल्क को या तो खत्म कर दिया जाता है या उसमें रियायत दी जाती है. साथ ही आयात-निर्यात के नियमों में भी सख्ती नहीं बरती जाती है. यूरोपीय फ्री ट्रेड एसोसिएशन के सदस्य देशों में स्विट्जरलैंड सबसे बड़ा और नार्वे दूसरे नंबर पर भारत का व्यापारिक साझेदार है.


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