नई दिल्ली: भारत के अंदरूनी मामलों पर कनाडाई टांग अड़ाई पर 20 से अधिक भारतीय राजनयिकों ने खुला खत लिख कनाडा को कठघरे में खड़ा किया है. इतना ही नहीं पूर्व भारतीय राजदूतों के इस समूह ने न केवल खालिस्तानी तत्वों को कनाडा में मिल रही सरपरस्ती पर सवाल उठाए हैं. बल्कि मित्र सम्बन्धों की आड़ में दोहरा  रवैया अपनाने का लेकर भी आड़े हाथों लिया है.


कनाडा में भारत के उच्चायुक्त रहे पूर्व राजनयिक विष्णु प्रकाश की अगुवाई में लिखे इस खुले पत्र में कनाडा सरकार पर वोटबैंक राजनीति करने का आरोप लगाया गया है. विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रह चुके प्रकाश समेत 22 राजनयिकों के इस संयुक्त पत्र में कहा गया है कि कुछ कनाडाई राजनीतिक दल और उनके नेताओं की वोट-बैंक राजनीति के कारण भारत-कनाडा सम्बंध तनाव का शिकार होते हैं. भारतीय राजनयिकों ने कनाडा में खालिस्तानी तत्वों से कनाडा के राजनीतिके दलों और नेताओं को मोटी फंडिंग मिलती है. इसको देखते हुए कनाडा में पाकिस्तानी राजनयिकों और खालिस्तानी आतंकी तत्वों कई सांठगांठ को भी नजरंदाज किया जाता है.


महत्वपूर्ण है कि कनाडा में खालिस्तानी तत्वों की सक्रियता का ब्यौरा कनाडा में आतंकी खतरों पर जारी पब्लिक रिपोर्ट में किया गया था. हालांकि कनाडा की सियासत में खालिस्तानी तत्वों के दबाव का नसदाज़में इस बाबत दी गई जानकारियों को हटा दिया गया था. गौरतलब है कि बीते दिनों कनाडा के प्रधानमंत्री जस्टिन ट्रूडो ने भारत के किसान आंदोलन को लेकर कथित तौर पर चिंता जताते हुए टिप्पणियां की. भारत सरकार ने इसे सिरे से खारिज करते हुए गलत तथ्यों पर आधारित और गैर जरूरी करार दिया. भारत के पूर्व राजनयिकों ने अपने खुले खत में कहा कि कनाडा के पीएम अगर इतने चिंतित हैं तो फिर विश्व व्यापार संगठन में उनका देश भारतीय कृषि योजनाओं में सरकारी समर्थन के सबसे मुखर विरोधियों में क्यों शामिल है?


राजदूतों के इस समूह ने कनाडा को आईना दिखाते हुए कहा कि वो आपने यहां तो प्राकृतिक संसाधनों के इस्तेमाल के लिए स्थानीय लोगों के विरोध को भी नजर अंदाज कर कानून बना देता है. वहीं भारत में सरकार की तरफ से किसानों के साथ संवाद कर समाधान निकालने की कोशिशों की सिरे से अनदेखी कर देता है. एबीपी न्यूज से बातचीत में विष्णु प्रकाश कहते हैं कि भारत में किसान आन्दोलन पर आए बयान कनाडाई पीएम एयर नेताओं के बयान उनकी हमदर्दी से नहीं बल्कि राजनीति से संचालित हैं. भारत दुनिया का सबसे बड़ी आबादी वाला लोकतंत्र है और इस बात को नकारा नहीनहीं जा सकता कि किसी भी मतभेद को सुलझाने के लिए संवाद की प्रक्रिया भी है और विवाद निपटारे के लिए पर्याप्त संस्थाएं भी.


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