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Russia-Ukraine War: भारतीय डॉक्टर ने यूक्रेन में फंसे पालतू जगुआर और तेंदुए के लिए मांगी मदद, बोले- याद सताती है
Ukraine News : डॉ गिडीकुमार ने कहा है कि पालतू जानवर की जान की रक्षा करना ही अपना परम धर्म मानते हैं.
Russia-Ukraine War: यूक्रेन और रूस के बीच पिछले 8 महीने से चल रहा युद्ध खत्म होने का नाम नहीं ले रहा है. इस युद्ध में दोनों देशों के नागरिकों को काफी नुकसान पहुंचा है. कई लोग पलायन करके दूसरे मुल्क में चले गए हैं. लोग अपने साथ अपने पालतू जानवर को भी साथ लेकर जा रहे हैं, लेकिन भारतीय मूल के डॉ गिडीकुमार पाटिल को पेट्स साथ ले जाने की अनुमति नहीं मिली .
इसके बाद डॉ पाटिल ने भारत सरकार से एक भावुक अपील की है. उन्होंने कहा है कि भारत सरकार को उनके पेट्स को वापस लाने में मदद करनी चाहिए.
जगुआर नाम से जाने जाते हैं
जगुआर कुमार के नाम से जाने जाने वाले 42 साल के डॉ. गिडीकुमार पाटिल कहा कि उनकी सबसे बड़ी प्राथमिकता अपने जगुआर यश और मादा तेंदुए सबरीना को बचाना है. उन्होंने भारतीय दूतावास से मदद की गुहार लगाते हुए कहा कि वह अपने पालतू की जान की रक्षा करना ही अपना परम धर्म मानते हैं.
कई दुर्लभ प्रजाति हैं मौजूद
बता दें कि उनके पास कई दुर्लभ प्रजाति के पेट्स मौजूद थे, जिनमें कीमती बिल्लियां, ब्लैक पैंथर और तेंदुए शामिल हैं. उनका दावा है कि उनके पास जो जगुआर प्रजाति है वह दुनिया में सबसे दुर्लभ है. उन्होंने बड़ी बिल्लियों की दुर्लभ नस्लों में से एक और लुप्तप्राय प्रजाति जगुआर प्रजाति के विकल्प को चुना था. उनके पास जगुआर रखने का लाइसेंस भी है. डॉ पाटिल वहां के एक किसान के साथ कीव छोड़ने पर मजबूर हो गए थे. यूक्रेन के इसी इलाके में युद्ध के कारण स्थिति काफी तनावपूर्ण बनी हुई थी.
भारतीय दूतावास से नहीं मिला था संतोषजनक जवाब
कीव में भारतीय दूतावास से कोई संतोषजनक जवाब नहीं मिलने पर डॉ पाटिल ने भारत सरकार से इस मामले में हस्तक्षेप करने के लिए अनुरोध किया है. पाटिल ने वारसॉ में मीडिया से बात करते हुए कहा कि भारत सरकार को बिल्लियों की सुरक्षा के लिए तत्काल प्रभाव से बड़े कदम उठाने की जरूरत है. उन्होंने जोर देते हुए कहा कि सरकार को हर संभव मदद करनी चाहिए.
अवसाद से हैं पीड़ित
अवसाद से हैं पीड़ित
डॉ पाटिल ने अपनी बिल्लियों को याद करते हुए कहा कि बिल्लियों के नहीं होने के कारण वह अवसाद ग्रस्त हो चुके हैं. उनका मानना है कि वह अपनी बिल्लियों से ज्यादा दिन दूर नहीं रह सकते. डॉ पाटिल अब सेवेरोडोनेत्स्क के स्वावतोव में किसी अस्पताल में काम कर रहे हैं.
सारा बचत बिल्लियों पर किया खर्च
सारा बचत बिल्लियों पर किया खर्च
उन्होंने लगभग दो साल पहले यूक्रेन की राजधानी कीव में एक चिड़ियाघर से दो दुर्लभ पालतू जानवर लिए थे. तब से उनके प्रति पूर्णरूप से समर्पित हैं. पाटिल अपना एक यूट्यूब चैनल भी चलाते हैं. उनके चैनल के सब्सक्राइबर लाखों में हैं, जहां वह अपने पालतू जानवर से जुड़े अपने वीडियो डालते रहते हैं. एक मध्यम वर्ग परिवार से आने वाले पाटिल ने अपने पशु प्रेम में अपनी अधिकांश बचत बड़ी बिल्लियों को खिलाने और देखभाल करने में लगाई है.
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