नई दिल्ली: भारत की अर्थव्यवस्था को लेकर कई बड़ी बातें सामने आई हैं. इसमें ख़ुशी की दो बड़ी बातें ये हैं कि एक तरफ जहां 2014 में वैश्विक अर्थव्यस्था में भारत की भागीदारी 2.6 प्रतिशत की थी, वहीं 2017 में बढ़कर ये 3.2 हो गई. इससे भी बड़ी बात ये है कि इंटरनेशनल मॉनिटरी फंड (आईएमएफ) के अनुमान के मुताबिक वैश्विक अर्थव्यवस्था रैंकिंग में ब्रिटने सातवें नंबर पर खिसक सकता है. इसके पहले फ्रांस को पीछे छोड़कर भारत छठे नंबर पर पहुंचा था. ऐसे में अगर ब्रिटेन एक पायदान नीचे खिसकता है तो भारत विश्व की पांच बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में शामिल हो जाएगा. ये जानकारी आईएमएफ और वर्ल्ड डेवलपमेंट इंडिकेटर के आंकड़ों पर आधारित है.


वैश्विक अर्थव्यवस्था में बढ़े भारत के योगदान की बात वित्त मंत्रालय के राज्यमंत्री पोन राधाकृष्णन द्वारा राज्यसभा को दी गई एक लिखित जानकारी पर आधारित है. भारतीय अर्थव्यवस्था के बारे में आईएमएफ ने कहा है कि 2018-19 और 2019-20 में ये बड़ी अर्थव्यवस्थाओं में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाली अर्थव्यवस्था होगी. 2014-15 और 2017-18 के दौरान भारतीय अर्थव्यवस्था की औसत विकास दर 7.3 प्रतिशत रही है. विकासशील अर्थव्यवस्थाओं के बीच भारत के विकास की रफ्तार सबसे तेज़ रही है.


जीडीपी के हिसाब से ब्रिटेन दुनिया की पांचवी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था है लेकिन दुनिया में तेज़ी से उभरती अर्थव्यवस्थाएं उसके लिए चुनौती बनी हुई हैं. आईएमएफ के इस आंकड़े से भारत और फ्रांस को तो राहत की सांस मिली होगी लेकिन ब्रेक्ज़िट से जूझ रहे ब्रिटने के लिए ये किसी सरदर्द से कम नहीं होगा. हालांकि, ब्रिटेन का ये दावा रहा है कि ब्रेक्ज़िट का उसकी अर्थव्यवस्था पर कोई ख़ासा प्रभाव नहीं पड़ेगा और एक समय लगभग पूरी दुनिया पर हुकूमत करने वाले इस देश का आर्थिक क्षेत्र में दबदबा बना रहेगा.


ग़ौर करने लायक बात ये है कि 1960 से 2013 तक वैश्विक अर्थव्यवस्था में भारत का हिस्सा 1.8 प्रतिशत का रहा है. मंगलवार को फिक्की द्वारा आयोजित भारत-तुर्की व्यापार मंच को संबोधित करते हुए केंद्रीय मंत्री सुरेश प्रभु ने कहा कि आने वाले सालों में भारत पांच ट्रिलियन डॉलर (35,18,75,00,00,00,000 रुपए) की अर्थव्यवस्था होगी.


ये भी देखें


घंटी बजाओ: किसान का कर्ज माफ तो क्या सत्ता का रास्ता साफ?