Dalveer Bhandari: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में भारतीय जज दलवीर भंडारी कौन जिन्होंने इजरायल के खिलाफ सुनाया फैसला
Dalveer Bhandari: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहुंचने से पहले दलवीर भंडारी भारत के सुप्रीम कोर्ट में सेवाएं दे चुके हैं. साल 2005 में भंडारी को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था.
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Dalveer Bhandari: अंतरराष्ट्रीय न्यायालय (ICJ) ने बीते शुक्रवार को इजरायल के खिलाफ बड़ा फैसला सुनाया, कोर्ट ने राफा में सैन्य कार्रवाई तत्काल रोकने का आदेश दिया है. इस आदेश को जारी करने में एक भारतीय जज दलवीर भंडारी भी शामिल हैं, भंडारी आईसीजे में भारत के प्रतिनिधि हैं. यह फैसला 13 जजों के समर्थन के बाद आया है, जबकि 2 जजों ने इसका विरोध किया है. जिन दो न्यायाधीशों ने इसका विरोध किया, उसमें युगांडा के जज जूलिया सेबुटिन्डे और इजरायल हाई कोर्ट के पूर्व जस्टिस अहरोन बराक शामिल थे. ऐसे में यह जानना जरूरी हो गया है कि भारतीय जज दलवीर भंडारी कौन हैं, जो इजरायल के खिलाफ फैसला देने वाली पीठ का हिस्सा बने.
भारत के सुप्रीम कोर्ट की वेबसाइट के मुताबिक, जस्टिस दलवीर भंडारी का जन्म 1 अक्टूबर 1947 को राजस्थान के जोधपुर जिले में हुआ था. साल 2012 में उन्हें अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में न्यायाधीश के रूप में चुना गया. भंडारी को पहली बार 2012 में जज के शेष कार्यकाल के लिए चुना गया था, जिन्होंने समय से पहले ही पद से स्तीफा दे दिया था. साल 2017 में एक बार फिर भंडारी को पूर्ण कार्यकाल के लिए चुना गया, जो 6 फरवरी 2018 से शुरू हुआ. जस्टिस भंडारी इस समय नीदरलैंड के हेग में स्थित अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में सेवाएं दे रहे हैं. आईसीजे में 15 न्यायाधीश होते हैं जो 9 साल तक अपनी सेवाएं देते हैं. इनमें से 5 जज हर तीसरे साल रिटायर्ड हो जाते हैं.
सुप्रीम कोर्ट में सेवा दे चुके हैं भंडारी
अंतरराष्ट्रीय न्यायालय में पहुंचने से पहले दलवीर भंडारी भारत के सुप्रीम कोर्ट में सेवाएं दे चुके हैं. साल 2005 में भंडारी को सुप्रीम कोर्ट का जज बनाया गया था. इसके पहले वे गोवा और महाराष्ट्र हाईकोर्ट के चीफ जस्टिस रह चुके हैं. भंडारी ने सुप्रीम कोर्ट में न्यायाधीश रहते हुए जनहित याचिका, संवैधानिक कानून, आपराधिक कानून, मध्यस्थता, पारिवारिक कानून, श्रम और औद्योगिक व कारपोरेट कानून समेत कई क्षेत्रों में फैसले सुना चुके हैं. तलाक के एक मामले में उन्होंने एक महत्वपूर्ण फैसला दिया था, जिसमें विवाह के अपूरणीय रूप से टूटने को तलाक का आधार बताया था.
भंडारी को अमेरिका में किया गया सम्मानित
उच्चतम न्यायालय की वेबसाइट के मुताबिक, जस्टिस भंडारी साल 1994 से इंटरनेशनल लॉ एसोसिएशन व इंडिया चैप्टर के कार्यकारी सदस्य रहे हैं. भंडारी कई वर्षों तक इंटरनेशन लॉ एसोसिएशन दिल्ली केंद्र के अध्यक्ष भी रहे हैं. मानविकी और कानून में स्नातक की डिग्री हासिल करने के बाद भंडारी स्कॉलशिप पर अमेरिका गए थे. वहां पर भंडारी ने शिकागो की नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी से लॉ में मास्टर डिग्री हासिल की. भंडारी को नॉर्थवेस्टर्न यूनिवर्सिटी स्कूल ऑफ लॉ के 150 साल के इतिहास में 15 सबसे सम्मानित और प्रतिष्ठित पूर्व छात्रों के रूप में सम्मानित किया जा चुका है.
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