न्यूयॉर्क: संयुक्त राष्ट्र में अमेरिका की स्थायी राजदूत निकी हेली ने पाकिस्तान पर हमला बोला है. भारतीय मूल की निकी ने पाक पर हमला करते हुए कहा कि ये देश अभी भी आतंकियों को पनाह दे रहा है जो अमेरिकी सैनिकों की जाने ले रहे हैं. हेली ने आगे कहा कि जब तक पाक इस मसले को हल नहीं करता तब तक उसे एक डॉलर भी नहीं दिया जाना चाहिए.
हेली भारतीय मूल की पहली अमेरिकी हैं जिन्हें अमेरिका के प्रशासन में कैबिनेट का पद हासिल हुआ है. हेली ने कहा कि अमेरिका को ऐसे देशों को पैसे देना बंद करना देना चाहिए जो इसे नुकसान पहुंचाने और पीठ पीछे जाकर इसे चीज़ें करने से रोकने की कोशिश करते हैं.
हेली ने अमेरिकी मैगज़ीन द अटलांटिक से कहा, "मुझे लगता है कि इस बात की रणनीतिक समीक्षा होनी चाहिए कि हम किस देश को अपना सहयोगी बनाते हैं, ख़ास चीज़ों पर काम करने के लिए हम किन देशों पर भरोसा करते हैं और इसी हिसाब से आगे बढ़ना चाहिए."
उन्होंने आगे कहा कि उन्हें लगता है कि अमेरिका बिना ये सोचे कि इसका सामने वाला फायदा उठा रहा है, अंधों की तरह पैसा बहाता रहता है. वो कहती हैं कि इसे ठीक करना होगा. उन्होंने इसका उदाहरण देते हुए पाकिस्तान का नाम लिया. उन्होंने कहा कि हम उन्हें ख़रबों डॉलर देते हैं लेकिन बदले में वो ऐसे आतंकियों को पनाह देते हैं जो हमारे जवानों की हत्या करते हैं.
हेली कहती हैं, "जब तक वो इसे ठीक नहीं करते हैं, हमें उन्हें एक डॉलर भी नहीं देना चाहिए. हमें इस पैसे का इस्तेमला करना चाहिए. ये कोई छोटी रकम नहीं है." आपको बता दें कि इस साल के अंत में यून में अमेरिका के दूत के तौर पर हेली का कार्यकाल समाप्त हो जाएगा और उनकी जगह हीथर नोर्ट ले लेंगी. अमेरिका के बड़े मीडिया हाउस फॉक्स की पूर्व पत्रकार नोर्ट स्टेट डिपार्टमेंट की प्रमुख प्रवक्ता हैं जिन्हें ट्रंप ने पिछले हफ्ते इस पद के लिए नॉमिनेट किया था.
हेली ने अक्टूबर में इसकी घोषणा की थी कि वो इस पद को त्याग देंगी. साउथ कैरोलीना की 46 साल की गवर्नर हेली ने लगभग दो सालों तक इस पद पर अपनी सेवा दी है. उन्होंने मैगज़ीन से बातचीत में ये भी कहा कि पाकिस्तान को ये बताया जाना चाहिए कि इससे पहले कि अमेरिका पाक की उसकी फौज या आतंक रोधी अभियान में मदद करे, उसे चीज़ें करनी पड़ेंगी.
आपको ये भी बता दें कि सितंबर में अमेरिका ने पाकिस्तान को दी जाने वाली 300 मियियन डॉलर की सहायता राशि रोक दी. ऐसा इसलिए किया गया क्योंकि पाकिस्तान ने अपनी ज़मीन पर आतंकवाद को रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए. इसके बाद अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने पाकिस्तान में लादेन के छुपे होने की बात याद दिलाते हुए कहा था कि पाक ने अपनी ज़मीन पर आतंकवाद रोकने के लिए पर्याप्त कदम नहीं उठाए हैं.
विरोधाभासों से भरे ट्रंप ने इस साल की शुरुआत पाकिस्तान के खिलाफ एक ट्वीट से की थी जिसके बाद अमेरिका का पाकिस्तान विरोधी रवैया लगातार बना रहा लेकिन साल के अंत में ट्रंप ने इमरान खान को एक चिट्ठी लिखी है. इस चिट्ठी की बातों से साफ है कि पाक के साथ अमेरिका अपने रिश्तों को वापस पटरी पर लाने की सोच रहा है.
पत्रकारों से सार्वजनिक तौर पर बातचीत करते हुए इमरान ने उन्हें जानकारी दी कि उन्हें ट्रंप की एक चिट्ठी मिली. इस चिट्ठी में ट्रंप ने उनसे मदद की मांग की है. आपको बता दें कि अगस्त महीने में इमरान के पीएम बनने के बाद ये दोनों के बीच की पहली आधिकारिक बातचीत है. विदेश कार्यालय के भी एक अधिकारी ने चिट्ठी में ऐसी बातों की पुष्टी की. साथ ही ये भी जानकारी दी गई कि ट्रंप ने दोनों देशों के रिश्तों को फिर से पटरी पर लाने की भी बात कही है.
ख़ान ने मीडिया से कहा कि ट्रंप ने उनसे 17 साल पुरानी अफगानिस्तान अशांति को समाप्त करने में मदद करने का आग्रह किया है. इस साल अक्टूबर के महीने से पाकिस्तान ने कई तालिबानी नेताओं को रिहा किया है. ये रिहाई उस शांति वार्ता मुहिम के तहत की गई है जो तालिबानी नेताओं के साथ अमेरिका चला रहा है. तालिबानी नेताओं को बातचीत के लिए मानने को लेकर भी अमेरिका ने पाकिस्तान से मदद मांगी है.
आपको बता दे कि इस साल की शुरुआत में पाकिस्तान और अमेरिका के बीच रिश्तों में कड़वाहट आने लगी थी. साल की शुरुआत में ट्रंप ने पाकिस्तान को दी जाने वाली सहायता राशि भी रोक दी थी. अपने सबसे ताज़ा बायनों में उन्होंने पाकिस्तान पर आरोप लगाए थे कि इस देश ने आतंकियों के ख़िलाफ़ पर्याप्ता कार्रवाई नहीं की. ऐसे में साल के अंत तक दुनिया के सबसे शक्तिशाली देश के मुखिया की ये पलटी पाकिस्तान के नए पीएम के लिए काफी राहत देने वाली साबित हो सकती है.
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