वॉशिंगटन: भारतीय मूल के अमेरिकी मुस्लिमों के एक समूह ने असम में नेशनल सिटीजन रजिस्टर (एनआरसी) को तत्काल खारिज करने की मांग की है. समूह का कहना है कि जब तक लिस्ट में बरती गई अनियमितताओं को दूर नहीं किया जाता है तब तक के लिए उसे खारिज कर दिया जाए. समूह के अनुसार, अनियमितताओं के कारण ही पंजी में चालीस लाख लोगों को शामिल नहीं किया जा सका.


इंडियन अमेरिकन मुस्लिम काउंसिल (आईएएमसी) ने कहा, "असम में वोटिंग से वंचित रहने वालों में सबसे ज्यादा वहां निवास करने वाला बांग्ला भाषी मुस्लिम समुदाय प्रभावित हुआ है जिसपर घुसपैठिया होने का आरोप लगाया जाता है जबकि समुदाय के लोग भारतीय नागरिक हैं." संगठन ने कहा कि नागरिकता खोने के खतरे का सामना करने वालों में भारत के पूर्व राष्ट्रपति फखरुद्दीन अली अहमद के रिश्तेदार भी शामिल हैं.


आईएएमसी के प्रेसिडेंट अहसान खान ने कहा, "दरअसल, यह लोकतंत्र को नष्ट करने की कवायद है और साफतौर से यह पक्षपात और भेदभावपूर्ण एजेंडा है, जिसके कारण भारत के पूर्व राष्ट्रपति के रिश्तेदारों को पंजी से अलग रखा गया है."


क्या है नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन (एनआरसी)
असम से जुड़ा नेशनल रजिस्टर ऑफ़ सिटिजन (एनआरसी) वो दस्तावेज है जिसमें असम के सभी असली नागरिकों का रिकॉर्ड है. इसका सबसे ताज़ा आंकड़ा 30 जुलाई 2018 को यानी आज पब्लिश किया गया है. एनआरसी को नागरिकता से जुड़े 2003 के नियम (नागरिकों का पंजीकरण और उनको पहचान पत्र जारी किया जाना) के तहत अपडेट किया जा रहा है.


साल 2015 में 3.29 करोड़ लोगों ने 6.63 करोड़ दस्तावेजों के साथ एनआरसी में अपना नाम शामिल करवाने के लिए आवेदन किया था. इनमें से 2.89 करोड़ को नागरिकता दी गई है. वहीं, 40 लाख के करीब लोग इसमें अपना नाम शामिल नहीं करवा पाए हैं.


इस लिस्ट की बड़ी बात ये है कि ये राज्य के हर नागरिक तक पहुंचा है. वहीं इसके सहारे सरकार को ये पता चला है कि कौन भारत का नागरिक है और कौन अवैध तरीके से भारत में रह रहा है. ये सारी प्रक्रिया सुप्रीम कोर्ट की निगरानी में पूरी की गई है. देश का सबसे बड़ा कोर्ट लगातार इसकी मॉनिटरिंग करता रहा है.


कौन होता है असम का नागरिक?
असम का नागरिक होने के लिए किसी व्यक्ति को ऐसे दस्तावेज या सबूत सौंपने थे/होंगे जिससे पता चल सके की वो या उसका परिवार/खानदान 1971 के पहले से असम में रहता था. इसके लिए अन्य उपाय ये भी है कि ऐसे लोगों के परिवार का नाम 1951 में जारी किए गए एनआरसी में हो या 1971 से पहले राज्य में हुए चुनाव से जुड़े दस्तावेज में उनका या उनके परिवार का नाम हो.


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