वॉशिंगटनः अमेरिकी राष्ट्रपति चुनाव 2020 में भारतीय-अमेरिकियों की भूमिका बेहद अहम है. भारतीय मूल के वोटरों के अहमियत का अंदाजा इस बात से लगाया जा सकता है कि राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप खुद को भारत का सच्चा दोस्त बताने में जुटे हैं. वहीं पारंपरिक रूप से भारतीय अमेरिकी समुदाय में पैठ रखने वाली डेमोक्रेटिक पार्टी अपने इस वोटबैंक को बचाने के लिए भरपूर कोशिश कर रही है. यहां तक कि डेमोक्रेट खेमे ने कमला हैरिस को उपराष्ट्रपति पद का उम्मीदवार बनाया है जो भारतीय मूल की हैं. भारतीय मां और जमैकन मूल के पिता की संतान कमला हैरिस के साथ आने के बाद बाइडन की टीम ने एक रात में भारतीय अमेरिकी बिरादरी के बीच 3.3 मिलियन डॉलर की रिकार्ड फंड रेजिंग दर्ज की है.


सिलिकॉन वैली में भारतीय मूल के उम्मीदवारों के बीच टक्कर


इसके अलावा डेमोक्रेट उम्मीदवार जो बाइडेन ने अपनी कैंपेन टीम में कई भारतीय मूल के चेहरों को सक्रिय भूमिका दी है. दूसरी ओर सत्ता में वापसी की कोशिश कर रही डेमोक्रेट पार्टी ने सिनेट और कांग्रेस के लिए हो रहे चुनावों में भी जगह दी है. कैलिफोर्निया में सिलिकॉन वैली कहलाने वाले कांग्रेशनल डिस्ट्रिक्ट 17 जैसे इलाके में तो चुनावी मुकाबला ही रिपब्लिकन रितेश टंडन और डेमोक्रेट रो खन्ना के बीच है. दोनों उम्मीदवार भारतीय मूल के हैं. वहीं न्यू जर्सी जैसी सीट पर पहली बार डेमोक्रेट पार्टी ने भारतीय मूल की महिला रुपांदे मेहता को उम्मीदवार बनाया है.


अमेरिका के चुनाव में बड़ा इलेक्टोरल कॉलेज नंबर रखने वाले स्विंग स्टेट में भी भारतीय-अमेरिकी बिरादरी की संख्या खासी अहम होगी. राष्ट्रपति चुनाव के लिहाज से महत्वपूर्ण स्विंग स्टेट मिशिगन में भारतीय अमेरिकियों की संख्या 45000, पैनसिल्वेनिया में 61000 और फ्लोरिडा जैसे सूबे में 87000 है. साल 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में डोनाल्ड ट्रंप ने मिशिगन को 13080 और पैनसिल्वेनिया को 44292 मतों से जीता था.


रिपब्लिकन पार्टी ने भी वोटरों के बीच दबदबा बढ़ाया


जानकारों का मानना है कि 232 सालों के अमेरिकी इतिहास में चुनावी लिहाज से शायद ही कभी भारतीय मूल के लोगों की आबादी कभी इतनी महत्वपूर्ण रही हो. कैलिफोर्निया, न्यूयॉर्क और न्यूजर्सी जैसे इलाकों में भारतीयों की बड़ी आबादी रहती है जो पारंपरिक तौर पर डेमोक्रेटिक पार्टी का वोटर मानी जाती रही. हालांकि बीते कुछ सालों में रिपब्लिकन पार्टी ने भारतीय मतदाताओं के बीच खासी पैठ बनाई है.


कश्मीर से अनुच्छेद 370 हटाने के मुद्दे से लेकर सीएए-एनआरसी जैसे मुद्दों पर अमेरिकी सरकार के समर्थन ने भी कई भारतीय अमेरिकियों को प्रभावित किया है. रिपब्लिकन पार्टी के उम्मीदवार और भारतीय-अमेरिकी समर्थक इसे भुनाने का भरपूर प्रयास कर रहे हैं. ध्यान रहे कि 2016 के राष्ट्रपति चुनाव में ट्रंप को भारतीय अमेरिकी बिरादरी का बहुत कम समर्थन हासिल हुआ था. जबकि सितंबर 2019 के हाऊडी मोदी और फरवरी 2020 में अपने भारत दौरे और नमस्ते ट्रंप जैसे कार्यक्रमों से अपनी छवि चमकाने वाले डोनाल्ड ट्रंप 2020 के चुनावों में अधिक समर्थन हासिल करने की उम्मीद में हैं.


ये भी पढ़ें


US Elections: राष्ट्रपति चुनाव में नतीजे स्पष्ट नहीं निकले तो क्या होगी संवैधानिक स्थिति, जानें