India-Israel: भारत से हर साल हजारों लोग इजरायल की यात्रा करते हैं. इनमें से ज्यादातर लोग यरुशलम या कब्जे वाले फलस्तीन जाते हैं. लेकिन ये लोग वहां पहुंचते ही गायब हो जा रहे हैं. भारतीय श्रद्धालुओं के गायब होने के ढेरों मामले सामने आए हैं. इसलिए ये सवाल उठ रहा है कि आखिर धार्मिक यात्रा के लिए पहुंचे भारतीय श्रद्धालु गायब क्यों हो जा रहे हैं. एक अनजान मुल्क में उनके 'लापता' होने की वजह क्या है?


मिडिल ईस्ट आई की रिपोर्ट के मुताबिक, हाल के सालों में भारतीय श्रद्धालुओं ने इजरायल और फलस्तीन की तीर्थयात्राओं का इस्तेमाल वहां बसने और रोजगार हासिल करने के एक रास्ते के तौर पर किया है. इजरायल-फलस्तीन में ईसाई, यहूदी और इस्लाम धर्म से जुड़े तीर्थस्थल मौजूद हैं. इसमें यरुशलम शहर सबसे ज्यादा पवित्र है, जो ईसाई, यहूदी और इस्लाम तीनों ही धर्मों में काफी ज्यादा महत्व रखता है.  


इजरायल में गायब होने की मुख्य वजह क्या है?


मार्च के महीने से दर्जनों भारतीय श्रद्धालु धार्मिक टूर के दौरान इजरायल में गायब हो गए हैं. इनमें से ज्यादातर लोग केरल के रहने वाले हैं. टूर कंपनियों की तरफ से मिली डिटेल्स एक पैटर्न की ओर इशारा करती है. माना जा रहा है कि लापता होने वाले लोगों ने इजरायल में शरण या फिर रोजगार खोज लिया है. एक तरह से अगर किसी को इजरायल में रोजगार चाहिए, तो वह धार्मिक टूर का सहारा ले रहा है. 


रोजगार के लिए इजरायल को चुनने के पीछे कई वजहें हैं. मिडिल ईस्ट का ये देश एक विकसित मुल्क हैं, जहां रोजगार के ज्यादा मौके उपलब्ध हैं. हालांकि, धार्मिक टूर के नाम पर इजरायल पहुंचने वाले ज्यादातर लोग लो स्किल वर्कर्स हैं. ये लोग केयर सेंटर, घरों और दुकानों में काम कर रहे हैं. इजरायल की करेंसी भी भारत के मुकाबले मजबूत है, जिसका फायदा इन्हें मोटी सैलरी के तौर पर मिल रहा है. 


इजरायल ही क्यों चुन रहे भारतीय?


हैदराबाद यूनिवर्सिटी के इतिहास के एसोसिएट प्रोफेसर वी जे वर्गीस केरल से होने वाले ट्रांसनेशनल माइग्रेशन की स्टडी करते हैं. उनका कहना है कि इजरायल कई वजहों से लोगों के बीच रोजगार के लिए पॉपुलर डेस्टिनेशनल बन रहा है. वह कहते हैं कि इजरायल भारत के 'इमिग्रेशन चेक रिक्वायर्ड' (ECR) देशों की लिस्ट में हैं. किसी देश में नौकरी के लिए जाने से पहले भारत में ही ECR का क्लियरेंस लेना होता है. 


आसान भाषा में कहें, तो अगर आप विदेश में नौकरी करने जा रहे हैं, तो भारत में 'ऑफिस ऑफ द प्रोटेक्टर ऑफ इमिग्रेटेंस' (POE) आपकी जांच कर बताएगा कि आप जा सकते हैं या नहीं. प्रोफेसर वर्गीस ने बताया कि 17 अन्य डेस्टिनेशन के विपरीत, भारतीयों को इजरायल में काम के लिए POE की मंजूरी की जरूरत नहीं होती है. यहां बेहतर मजदूरी दर और अपेक्षाकृत बेहतर कामकाजी परिस्थितियां भी हैं. 


यह भी पढ़ें: फलस्तीन को लेकर फिर भिड़े सऊदी अरब-इजरायल, क्या मिडिल ईस्ट में आने वाला है कोई भूचाल?