वॉशिंगटन: तमिलनाडु से ताल्लुक रखने वाले एक टेकी को अमेरिका में नौ साल के जेल की सज़ा सुनाई गई है. उसके ऊपर "निर्लज्जता के साथ यौन हिंसा करने" का आरोप था. दोषी ने साथ में सफ़र कर रही महिला के ख़िलाफ़ ये यौन हिंसा की थी. घटना इस साल के शुरुआत की है. नौ साल की जेल की सज़ा भोगने जा रहा 35 साल का प्रभु राममूर्ति एच-वन बी वीज़ा पर अमेरिका गया था.


सज़ा पूरी करने के बाद राममूर्ति को भारत डिपोर्ट कर दिया जाएगा. राममूर्ति को ट्रोइट के जज ने जेल की सज़ा सुनाई. जज टेरेन्स बर्ज ने उम्मीद जताई कि बाकियों लोगों को ऐसा करने से रोकने का डर पैदा करने लिए ये सज़ा पर्याप्त होनी चाहिए. हालांकि, सरकारी वकील ने राममूर्ति के लिए 11 साल की सज़ा की मांग की है.


अमेरिकी अटॉर्नी मैथ्यू श्नाइडर ने सजा सुनाई जाने के बाद कहा, "हवाई जहाज में सफ़र कर रहे हर किसी को सुरक्षित होने का अधिकार है. हम ऐसे किसी के व्यवहार को बर्दाश्त नहीं करेंगे, जो कमजोर स्थिति में होने की वजह से पीड़ितों का लाभ उठाता है. इस मामले में हिम्मत दिखाने के लिए हम पीड़ित की सराहना करते हैं."


पांच दिनों तक चले ट्रायल के बाद राममूर्ति को अगस्त के महीने में ही दोषी करार दे दिया गया था. मामले में सौंपे गए सबूतों के मुताबिक राममूर्ति ने महिला के साथ ये यौन अपराध तब किया जब वो सो रही थी. हैरत की बात ये है कि इस अपराध के दौरान राममूर्ति के साथ उसकी पत्नी भी बैठी हुई थी.


ट्रायल के दौरान ये भी बताया गया कि जब राममूर्ति ने महिला पर हमला किया तो महिला जाग गई और पाया उसके लोअर खुला हुआ था. महिला ने तुंरत फ्लाइट अटेंडेट्स से मदद मांगी. चिंता की बात ये है कि हाल के सालों में ऐसे मामलों में कई भारतीय लोगों को गिरफ्तार किया गया है.


एफबीआई ने जानकारी दी है कि प्लेन में होने वाली यौन हिंसा एक तेज़ी से बढ़ता अपराधा है. साथ ही ये भी बताया गया कि 2014 से 2017 के बीच ऐसे मामलों में 66% का इजाफा हुआ है. इसके लिए बैठने की जगह में भारी कमी, शराब और ड्रग्स जैसी बातों को ज़िम्मेदार ठहराया गया है.


कोर्ट के पेपर के मुताबिक, राममूर्ति का परिवार खेती करता है. तमिलनाडु में पला बढ़ा राममूर्ति 2015 में एक आईटी प्रोफेशनल के तौर पर काम करने अमेरिका पहुंचा था. ट्रायल के दौरान राममूर्ति ने ख़ुद को एक ऐसे व्यक्ति के तौर पर पेश किया जो भाषा से लेकर संस्कृति तक की वजह से अमेरिका में कंफ्यूज़ हो गया है. इसी वजह से सरकारी वकील ने इस बात पर ज़ोर दिया कि मामले को लेकर वो जिस तरह की असंवेदनशीलता दिखा रहा है उसके लिए उसे नहीं बख्शा जाना चाहिए और उसकी सज़ा दो साल और बढ़ाकर 11 साल तक कर दी जानी चाहिए.


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