Indian Medical Student In Russia: मेडिकल स्टडी की आखिरी साल की छात्रा जिसना जीजी (25) उन हजारों स्टूडेंटों में शामिल हैं, जिन्हें रूस के हमले की वजह से यूक्रेन में चल रही पढ़ाई बीच में ही छोड स्वदेश लौटना पड़ा था और अब वही पढ़ाई पूरी करने के लिए उसी रूस के शिक्षण संस्थानों में प्रवेश लेना पड़ा है. जीजी करीब एक साल पहले यूक्रेन से लौटी थीं.


जीजी ने पीटीआई-भाषा से फोन पर की गई बातचीत में कहा कि रूस हमारा स्वागत कर रहा है. वह अतिरिक्त शुल्क नहीं ले रहा है. हमें अपनी पढ़ाई जारी रखने दी जा रही है और हमारी मेहनत बेकार नहीं होगी. मूल रूप से केरल की रहने वाली जीजी अपनी एमबीबीएस की पढ़ाई अब रूस के अर्खानगेल्स्क स्थित उत्तर शासकीय चिकित्सा यूनिवर्सिटी में कर रही हैं.


ऑपरेशन गंगा के तहत स्वदेश लाया गया
जीजी ने ठीक एक साल पहले यूक्रेन के सुमी स्थित यूनिवर्सिटी में MMBS के स्टडी के पांचवे साल में थी और अपनी शिक्षा पूरी करने के करीब थीं. उनको बिलकुल अहसास नहीं था कि साल 2022 उनके और जिस देश में वह पढ़ रही हैं उसके लिए उथलपुथल वाला होगा. रूस के तरफ से युद्ध छेड़े जाने से सभी स्तब्ध थे. जीजी सहित सैकड़ों छात्रों ने युद्ध शुरू होने के बाद निकासी की यात्रा शुरू की और यूक्रेन की पश्चिमी सीमा पर पहुंचे. भारतीय छात्रों को भारत सरकार के ऑपरेशन गंगा के तहत स्वदेश लाया गया. युद्ध प्रभावित यूक्रेन से कुल 17 हजार लोगों को स्वदेश लाया गया जिनमें से अधिकतर स्टूडेंट हैं.


कोई विकल्प नहीं था
वहां मेडिकल की पढ़ाई कर रहे कई भारतीय स्टूडेंट्स के सामने यूक्रेन से बाहर निकलने और दूसरे देशों के यूनिवर्सिटी से पढ़ाई पूरी करने के अलावा कोई विकल्प नहीं था. कई स्टूडेंट अपनी पढ़ाई जारी रखने के लिए रूस, सर्बिया, उज्बेकिस्तान और अन्य यूरोपीय देशों का विकल्प चुना. जीजी ने कहा कि भारत आने के बाद समय बहुत ही अनिश्चित था. हमारा विचार था कि युद्ध जल्द समाप्त हो जाएगा और हम लौट जाएंगे. लेकिन महीनों का समय बीतने के बाद हमारे छात्र समन्वयक भी सीधा जवाब नहीं दे रहे थे. उन्होंने बताया कि स्टूडेंटों ने अकादमिक ट्रांसफर कार्यक्रम के तहत अन्य यूनिवर्सिटी में ट्रांसफर लिया.


रूस में करीब 150 स्टूडेंट हैं
पिछले साल सितंबर में विदेश मंत्रालय और राष्ट्रीय चिकित्सा परिषद (NMC) ने अधिसूचना जारी की जिसके मुताबिक NMC दूसरे देशों से (यूक्रेन के मूल  यूनिवर्सिटी और संस्थानों की मंजूरी के साथ) भी बाकी की पढ़ाई पूरी करने पर डिग्री स्वीकार करेगी. जीजी इस साल जुलाई में अपना पाठ्यक्रम पूरा करेगी. उन्होंने कहा कि रूस में करीब 150 स्टूडेंट हैं, जिनके बारे में मैं जानती हूं कि वे यूक्रेन से आए हैं. हमनें ट्रांसफर लिया है. जब कोई उम्मीद नहीं बची तो हम अक्टूबर में आए.


उन्होंने बताया कि उनके कुछ साथी दोबारा यूक्रेन गए लेकिन उनका मानना है कि रूस आने का फैसला सबसे बेहतर है. यूक्रेन में एमबीबीएस की पढ़ाई करने वाले छात्रों के अभिभावकों के संघ (पीएयूएमएस) के अध्यक्ष आर बी गुप्ता ने दावा किया कि करीब 2500 विद्यार्थी वापस यूक्रेन लौटे हैं जबकि करीब 4000 विद्यार्थियों ने सर्बिया, रूस और उज्बेकिस्तान सहित अन्य देशों में ट्रांसफर कराया है.


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