विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कोरोना के भारतीय स्वरूप (बी.1.617) को चिंताजनक बताया है. डब्ल्यूएचओ में कोविड-19 टेक्निकल टीम से जुड़ीं डॉ मारिया वैन केरखोव ने सोमवार को कहा कि सबसे पहले भारत में सामने आए वायरस के स्वरूप बी.1.617 को पहले डब्ल्यूएचओ द्वारा निगरानी में रखा गया था. उन्होंने कहा, "विभिन्न दलों द्वारा बातचीत की जा रही है. हम इस स्ट्रेन के बारे में और ज्यादा जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं और हमें उम्मीद है कि हम जल्द इसमें कामयाबी पा लेंगे." उन्होंने आगे कहा, "कोविड-19 के भारतीय स्वरूप के बारे में उपलब्ध जानकारी और इसकी प्रसार क्षमता पर बातचीत करने के बाद हमने इसे वैश्विक स्तर पर चिंताजनक स्वरूप की श्रेणी में रखा है. यह वैरिएंट अब 44 देशों में मौजूद है."


डब्ल्यूएचओ के अनुसार, कोविड-19 की जो वैक्सीन बनाई जा रही है वह इस नए वैरिएंट पर कम असर करेगा. डब्ल्यूएचओ अभी इसपर और स्टडी कर रहा है और यह समझने की कोशिश कर रहा है कि दुनियाभर में अभी दी जा रही वैक्सीन इस वैरिएंट पर कितनी असर करेगी. डब्ल्यूएचओ के अनुसार, अगर वायरस का प्रसार रोक दिया जाए तो उसका म्यूटेशन भी रुक जाएगा.


डॉ. सौम्या स्वामीनाथन ने वैक्सीन को लेकर कही ये बात 


विश्व स्वास्थ्य संगठन की प्रमुख वैज्ञानिक डॉक्टर सौम्या स्वामीनाथन ने कहा कि, मौजूदा वक्त में हमारा सारा ध्यान वायरस के संक्रमण के प्रसार को रोकने पर हो और इससे होने वाली मौतों पर लगाम कसने में हो. उन्होंने कहा कि वायरस के सभी प्रकार के वैरियंट पर वैक्सीन कारगर है. घातक बीमारी के खिलाफ ये काफी प्रभावशाली है. हालांकि, उन्होंने ये भी कहा कि पूरी तरह ये इंफेक्शन को नहीं रोक पाता. 


ये भी पढ़ें-


चीन में जनसंख्या सबसे धीमी गति से 1.412 अरब हुई, अगले साल से आ सकती है गिरावट


रूस के कज़ान में स्कूल में गोलीबारी, 11 लोगों की मौत, 17 साल के एक बंदूकधारी को पकड़ा गया