Wrestlers Protest News: दिल्ली के जंतर-मंतर में धरनास्थल से हटाए गए पहलवानों ने अपने मेडल गंगा (Ganga) में बहाने की घोषणा करके हलचल पैदा कर दी है. बीजेपी सांसद बृजभूषण शरण सिंह (Brij Bhushan Sharan Singh) की गिरफ्तारी की मांग को लेकर विरोध प्रदर्शन कर रहे पहलवानों ने कहा है कि वे मंगलवार को हरिद्वार जाकर गंगा नदी में अपने मेडल प्रवाहित कर देंगे. साथ ही पहलवानों ने इंडिया गेट पर आमरण अनशन पर बैठने की भी घोषणा की है.


भारत के पहलवानों के इस ऐलान के बाद दुनिया के महान बॉक्सर मोहम्मद अली से जुड़ा वो किस्सा भी याद आ गया जब विरोध जताने के लिए उन्होंने अपना ओलंपिक मेडल नदी में फेंक दिया था. मोहम्मद अली को तब कैसियस क्ले के नाम से जाना जाता था. उन्होंने नस्लीय भेदभाव का विरोध करने के लिए 1960 में ओहियो नदी में अपना ओलंपिक स्वर्ण पदक फेंक दिया था. 


रेस्तरां में खाना देने से किया था मना


अली को नस्लीय भेदभाव के कारण एक श्वेत व्यक्ति के रेस्तरां में खाना देने से मना कर दिया गया था. जिसके बाद उन्होंने मेडल को नदी में फेंक कर अपनी निराशा व्यक्त की थी. अली ने अपनी आत्मकथा "द ग्रेटेस्ट" में इस घटना का जिक्र किया है. उन्होंने बताया कि कैसे एक ओलंपिक चैंपियन होने के बावजूद उनके साथ भेदभावपूर्ण व्यवहार किया गया था. 


"वहां काले लोग नहीं खा सकते थे"


उन्होंने लिखा, "मैं 1960 के रोम ओलंपिक में गोल्ड मेडल जीतने के बाद लुइसविले वापस आया था. इसके बाद मैं लंच के लिए उस रेस्तरां में गया जहां काले लोग नहीं खा सकते थे. मैं रेस्तरां में जाकर बैठ गया और खाना देने के लिए कहा. एक ओलंपिक चैंपियन अपना स्वर्ण पदक पहने वहां खाना मांग रहा था और उसे उन्होंने कहा कि हम यहां निगर (काले रंग के लोगों के लिए इस्तेमाल किए जाने वाला शब्द) को सर्विस नहीं देते हैं." 


इसलिए मेडल नदी में फेंक दिया...


मोहम्मद अली ने आगे लिखा, "मैंने कहा कि कोई बात नहीं, मैं नहीं खाता. फिर उन्होंने मुझे बाहर कर दिया. इसलिए मैं ओहियो नदी के पास गया और अपना स्वर्ण पदक उसमें फेंक दिया. इसके बाद उस दिन मैंने कार में बोलोग्ना सैंडविच खाई थी." उन्होंने अपनी किताब में ये भी बताया कि 1960 में लुइसविले में नस्लीय अलगाव के खिलाफ मार्च के दौरान किसी ने उन पर गर्म पानी फेंका था. अमेरिका में जिम क्रो कानूनों के युग के दौरान नस्लीय अलगाव चरम पर था. मोहम्मद अली ने जो ऐतिहासिक कदम उठाया था वो भेदभाव की पीड़ा से प्रेरित था. 


36 साल बाद किया गया था सम्मानित


इस घटना के 36 साल बाद 1996 में मोहम्मद अली को एक रिप्लेसमेंट गोल्ड मेडल देकर सम्मानित किया गया था. अंतर्राष्ट्रीय ओलंपिक समिति के तत्कालीन अध्यक्ष जुआन एंटोनियो ने यूएस और यूगोस्लाविया के बास्केटबॉल मैच के दौरान अली को ये स्वर्ण पदक प्रदान किया था. 


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