गांधीनगर: भारत और जापान ने क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के कई मुद्दों पर चर्चा की और नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियार और बैलिस्टिक मिसाइल प्रोग्राम चलाने को लेकर उसकी निंदा की. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और उनके जापानी समकक्ष शिंजो आबे के बीच बातचीत के बाद मीडिया को ब्रीफ करते हुए विदेश सचिव एस जयशंकर ने कहा कि भारत और चीन के बीच हाल के डोकलाम विवाद पर खास तौर पर दोनों नेताओं ने चर्चा नहीं की.
बातचीत पर ज्वाइंट स्टेटमेंट जारी किया गया
जयशंकर ने कहा, ‘‘बयान में डोकलाम का विशेष तौर पर जिक्र नहीं किया गया. लेकिन क्षेत्रीय और वैश्विक महत्व के सभी मुद्दों पर चर्चा हुई.’’ जापान एक मात्र देश था जिसने डोकलाम संकट के दौरान खुलकर भारत का समर्थन किया था. विदेश सचिव ने कहा कि दोनों नेताओं ने नॉर्थ कोरिया के परमाणु हथियार और बैलेस्टिक मिसाइल कार्यक्रम चलाने को लेकर उसकी निंदा की. दोनों नेताओं ने कहा कि नॉर्थ कोरिया को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के प्रस्ताव का पूरी तरह पालन करना चाहिए.
मोदी और आबे ने स्वतंत्र, खुले और समृद्ध हिंद-प्रशांत क्षेत्र के प्रति दृढ़ प्रतिबद्धता दोहरायी. लेकिन पिछले साल के संयुक्त बयान की तरह इस बयान में दक्षिण चीन सागर का उल्लेख नहीं था. जब जयशंकर से पूछा गया कि दक्षिण चीन सागर का बयान में जिक्र क्यों नहीं था, तब उन्होंने कहा, ‘‘जब हम हिंद प्रशांत क्षेत्र की बात करते हैं तो दक्षिण चीन सागर उसका हिस्सा है. यह किसी खास भौगोलिक क्षेत्र के लिए विशिष्ट स्थिति नहीं है, यह दुनिया के किसी भी हिस्से के लिए हमारा सैद्धांतिक रुख है.’’
उन्होंने बताया कि दोनों देशों ने भारत को जापान के यू एस एम्फिबियन विमान की बिक्री पर बातचीत जारी रखने का फैसला किया. दोनों देशों ने भारतीय सेना और वायुसेना के अलावा उनके जापानी समकक्षों के बीच सहयेाग बढ़ाने का भी फैसला किया.