Indonesia Presidential Election: प्राबोवो सुबिआंतो ने इंडोनेशिया राष्ट्रपति चुनाव में जीत का दावा किया, पहले दौर में 58 फीसदी वोट मिलने की संभावना
Indonesia Presidential Election: प्राबोवो सुबिआंतो को राष्ट्रपति चुनाव के पहले चरण में 58 फीसदी वोट मिलने का अनुमान है. हालांकि, आधिकारिक आंकड़े आने में अभी काफी समय लग सकता है. प्राबोवो इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री भी हैं.
Indonesia Presidential Election: इंडोनेशिया के रक्षा मंत्री प्राबोवो सुबिआंतो ने राष्ट्रपति चुनाव में जीत का दावा किया है. अनाधिकारिक गणना में उन्हें अन्य उम्मीदवारों पर अच्छी बढ़त मिली है. हालांकि, चुनाव के आधिकारिक नतीजे आने में काफी समय लग सकता है. 72 साल के प्राबोवो इससे पहले भी दो बार राष्ट्रपति चुनाव लड़ चुके हैं. मौजूदा चुनाव में उन्हें 58 फीसदी वोट मिलने की संभावना है. अलग-अलग पोलिंग बूथ पर 86 से 95 फीसदी बैलेट पेपर की गिनती के बाद अनाधिकारिक नतीजे जारी किए गए हैं.
प्राबोवो के प्रतिद्विंद्वी एनीस बसवेडान 25 फीसदी और गंजर प्रनोवो 17 फीसदी वोट के साथ उनसे काफी पीछे चल रहे हैं. ऐसे में अंतिम नतीजों में बदलाव की संभावना बेहद कम है. हालांकि, आधिकारिक गिनती में प्रबोवो को अब तक 57.7 फीसदी वोट मिले हैं और सिर्फ छह फीसदी बैलेट की गणना हुई है.
प्राबोवो सुबिआंतो ने समर्थकों से क्या कहा?
अनाधिकारिक नतीजों में बड़ी बढ़त हासिल करने के बाद प्राबोवो ने अपने समर्थकों को संबोधित करते हुए आभार जताया. उन्होंने कहा "हमारे अंदर अहंकार नहीं होना चाहिए. हमें घमंड नहीं करना चाहिए. हमें पागलपन नहीं करना है. हमें विनम्र रहना है. यह जीत इंडोनेशिया के सभी लोगों की जीत होनी चाहिए."
प्रबोवो के प्रतिद्वंद्वियों ने आधिकारिक नतीजों का इंतजार करने की बात कही. हालांकि, आधिकारिक नतीजे आने में कम से कम 20 मार्च तक का समय लगेगा. विपक्षी नेताओं की तरफ से यह भी कहा गया कि उनकी टीमें चुनाव में गड़बड़ी की जांच कर रही हैं. दोनों नेताओं ने कहा कि यह सुनियोजित तरीके से किया गया घोटाला है. हालांकि, दोनों नेताओं ने अपनी बात के समर्थन में कोई सबूत नहीं दिए.
इंडोनेशिया में चुनाव का क्या है नियम?
इंडोनेशिया में चुनाव के नियमों के अनुसार किसी भी उम्मीदवार को एक चरण में जीत के लिए 50 फीसदी से ज्यादा वोट चाहिए होते हैं. इसके साथ ही देश के आधे से ज्यादा राज्यों में 20 फीसदी से ज्यादा वोट हासिल करने होते हैं. अगर कोई भी उम्मीदवार जीत नहीं हासिल करता है तो सबसे ज्यादा वोट पाने वाले शीर्ष दो नेताओं के बीच जून में मुकाबला होगा.
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