जर्मनी के बाद इंडोनेशिया के एक चिड़ियाघर को अजीब परिस्थिति का सामना करना पड़ रहा है. उसने जानवरों को बचाने के लिए अपने ही चिड़ियाघर के जानवरों को मारने का फैसला किया है. ये स्थिति कोरोना वायरस संकट के कारण पैदा हुई है.
इंडोनेशिया का मशहूर चिड़ियाघर बदुंग (Badung) इन दिनों बुरे दौर से गुजर रहा है. चिड़ियाघर के जानवरों को चंदों की मदद से जीवित रखा जा रहा है. आनेवाले दिनों में हो सकता है उसे मांसाहारी जानवरों के खुराक के लिए जानवरों का इस्तेमाल करना पड़े. दरअसल कोरोना वायरस संक्रमण के चलते 24 मार्च से उसे बंद कर दिया गया था. जिसके बाद सैलानियों के नहीं आने से उसकी आमदनी घटती गई. चिड़ियाघर को हर साल सैलानियों से करीब 82 हजार डॉलर की कमाई होती थी.
कमाई में कमी होने पर चिड़ियाघर में 850 जानवरों को आम दिनों के मुकाबले कम खाना खिलाया जाने लगा. फितरी नाम के सुमित्रन बाघ को पहले 10 किलो खाना दिया जाता था मगर उसके खुराक में कटौती कर हर दो दिन पर 8 किलो मांस दिया जा रहा है.
अब ऐसी स्थिति बन रही है कि मांसाहारी जानवरों के खुराक के लिए कुछ जानवरों समेत चिड़ियों को भी मारा जा सकता है. चिड़ियाघर के प्रवक्ता सुल्हन सयाफी ने बताया कि उन्हें 86 जानवरों की खुराक के लिए प्रतिदिन 4 सौ किलो से ज्यादा फल और हर दूसरे दिन 120 किलो मांस की जरूरत पड़ती है. वर्तमान स्थिति को देखते उनकी खुराक पहले से ही कम कर दी गई है. उन्होंने कहा कि चिड़ियाघर में 30 हिरण हैं जिनकी आयु ज्यादा हो चुकी है. ये हिरण बच्चा जनने की स्थिति में भी नहीं हैं. इसलिए उन्हें मारकर मांसाहारी जानवरों जैसे शेर और चीतों को खिलाया जाएगा. इंडोनेशिया के चिड़ियाघर संघ ने राष्ट्रपति जोको विदोदो से मदद की अपील की है. इससे पहले जर्मनी के एक चिड़ियाघर में भी कुछ जानवरों को के बचाव के लिए दूसरे जानवरों को मारकर खिलाया जा चुका है.
ईरान के सर्वोच्च नेता खामनेई का इजरायल पर हमला, कहा- ये देश है 'कैंसर ट्यूमर'
कोरोना का कहर: अमेरिका में 1 लाख के करीब पहुंची मौतों की संख्या, अबतक 4 लाख लोग ठीक हुए