ब्रिटेन में महंगाई बनी आफत! 41 साल के रिकॉर्ड स्तर पर मुद्रास्फीति, फ्यूल और खाने के सामान पर सबसे ज्यादा असर
Inflation In UK: अक्टूबर 2022 के दौरान ब्रिटेन में खुदरा महंगाई (consumer price) बढ़कर 11.1 फीसदी हो चुकी है, जो 1981 से अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है.
UK Economy: ब्रिटेन में महंगाई अब सालों के रिकॉर्ड तोड़ रही है. फिलहाल देश के लोगों के लिए सबसे बड़ा मुद्दा महंगाई बना हुआ है. बजट से ठीक पहले आए ताजा आंकड़ों के मुताबिक, अक्टूबर 2022 के दौरान ब्रिटेन में खुदरा महंगाई (consumer price) बढ़कर 11.1 फीसदी हो चुकी है, जो 1981 से अब तक का सबसे ऊंचा स्तर है. यहां जनता लगातार मांग कर रही है कि उन्हें राहत देने के लिए सरकार की तरफ से कोई कदम उठाया जाए.
इकोनॉमिस्ट ने उम्मीद जताई थी कि अक्टूबर में मुद्रास्फीति (Inflation) का आंकड़ा 10.7 प्रतिशत रहेगा. हालांकि, असल आंकड़ा उनकी उम्मीद से ज्यादा रहा. ओएनएस ने कहा कि खाद्य पदार्थों और ऊर्जा की ऊंची कीमतों के चलते महंगाई बढ़ी. इसके बाद अब फ्यूल और खाने के सामान पर इसका सबसे ज्यादा असर पड़ने वाला है, जिससे आम आदमी की परेशानी और ज्यादा बढ़ सकती है.
आज ब्रिटेन में पेश होगा बजट
ब्रिटेन के वित्त मंत्री जेरेमी हंट ने बजट से एक दिन पहले जारी इन आंकड़ों पर प्रतिक्रिया जाहिर की है. उनका कहना है कि बढ़ती महंगाई और कीमतों में बढ़ोतरी के लिए सरकार कड़े कदम उठाएगी. माना जा रहा है कि इस बजट में खर्च घटाने और टैक्स में बढ़ोतरी के फैसले किए जा सकते हैं. ब्रिटेन में आज नया बजट पेश होने जा रहा है. इस बजट से यहां की जनता को भी कई उम्मीदें हैं.
बजट को लेकर G-20 समिट में बोले थे ऋषि सुनक
ब्रिटिश प्रधानमंत्री ऋषि सुनक गुरुवार (17 नवंबर) की सुबह ब्रिटेन लौटेंगे और सबसे पहले अपने वित्त मंत्री की आपातकालीन बजट वक्तव्य की प्रस्तुति के लिए जाने वाले हैं. सुनक ने G-20 समिट के दौरान कहा था कि गुरुवार का बजट यह निर्धारित करेगा कि हम इस देश को सही रास्ते पर कैसे लाएंगे. इससे पहले उन्होंने कहा था कि सबसे बड़े आर्थिक संकट को दूर करने के लिए दुनिया की सबसे बड़ी अर्थव्यवस्थाओं को एक दशक तक ठोस प्रयास करने की आवश्यकता होगी.
रॉयटर्स ने बाजार के जानकारों के हवाले से लिखा है कि बैंक ऑफ इंग्लैंड जल्द ही दरों को मौजूदा 3 प्रतिशत से बढ़ाकर 4 से 4.5 प्रतिशत तक पहुंचा सकता है. वहीं, दूसरी तरफ बाजार के जानकार कह रहे हैं कि महंगाई दर के रिकॉर्ड स्तर के बाद भी कीमतों के बढ़ने की रफ्तार कम हुई है.
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