Iran Nuclear Weapon: ईरान की बढ़ती परमाणु गतिविधियों ने वैश्विक समुदाय को चिंता में डाल दिया है. अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की हालिया रिपोर्ट के अनुसार, ईरान का यूरेनियम भंडार अब हथियार-निर्माण स्तर के बेहद करीब है. यह विकास मध्य पूर्व और वैश्विक सुरक्षा पर दीर्घकालिक प्रभाव डाल सकता है. खासकर इजरायल को काफी चिंता में डाल सकता है, जो बीते एक साल से ईरान समर्थित समूह हमास और हिज्जबुल्लाह के खिलाफ दोहरी जंग लड़ रहा है.
IAEA की रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने 60 फीसदी तक की शुद्धता वाला 182.3 किलोग्राम यूरेनियम जमा कर लिया है, जो हथियार-निर्माण के लिए आवश्यक 90 फीसदी शुद्धता से कुछ ही कदम दूर है. अगस्त की रिपोर्ट के बाद इसमें 17.6 किलोग्राम की वृद्धि दर्ज की गई है.
परमाणु हथियार बनाने का जोखिम
अगर ईरान 90 फीसदी क्षमता को बढ़ा देता है तो वह परमाणु हथियार बनाने की दिशा में कारगर साबित हो सकता है. इससे क्षेत्रीय शक्ति संतुलन और शांति को बड़ा खतरा हो सकता है. वहीं संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अन्य वैश्विक संस्थानों ने ईरान पर प्रतिबंध लगाए हैं, लेकिन उनकी प्रभावशीलता पर सवाल उठाए जा रहे हैं.
दबाव और कूटनीतिक प्रयास
2015 में हुए JCPOA समझौते का उद्देश्य ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को सीमित करना था. लेकिन अमेरिका और अन्य देशों के साथ तनाव के कारण समझौते की सफलता में संदेह पैदा हो गया. हालांकि, ईरान की बढ़ती ताकत को रोकने के लिए पश्चिमी देश कई उपाय लगा सकते हैं. जैसे ईरान के तेल और गैस निर्यात को सीमित करके या परमाणु स्थलों को नष्ट करके.
वैश्विक सुरक्षा पर प्रभाव
ईरान की परमाणु क्षमता से न केवल मध्य पूर्व बल्कि वैश्विक शक्ति संतुलन भी प्रभावित हो सकता है. इसका असर सऊदी अरब और इजरायल पर पड़ सकता है, क्योंकि दोनों देश ईरान की बढ़ती शक्ति को अपने लिए खतरा मानते हैं. वहीं दुनिया की प्रमुख शक्तियों के बीच तनाव बढ़ सकता है, जिसमें अमेरिका और रूस मुख्य रूप से शामिल है.