अंतरराष्ट्रीय डांस डे हर साल 29 अप्रैल को मनाया जाता है. इन दिनों जब पूरी दुनिया कोविड महामारी की वजह से परेशान और डिप्रेशन का शिकार हो रही है, ऐसे में मानसिक तनाव से बचने के लिए डॉक्टर मरीजों को शारीरिक गतिविधियों को करते रहने की सलाह दे रहे हैं. शारीरिक गतिविधियों में डांस को बेहद लाभकारी माना गया है.


दरअसल कई अध्ययन में पाया गया है कि डांस शरीर और मन के लिए अच्छा है. वहीं कोविड के चलते मानसिक और भावनात्मक चुनौतियों का सामना करने में डांस हमारी मदद कर सकता है. जानकारी के मुताबिक डांस एक रचनात्मक अभिव्यक्ति है जो संगीत के साथ हमारे मस्तिष्क को तनाव मुक्त रखने का काम करता है. ज्यादातर डॉक्टर मरीजों को  डांस की सलाह शारीरिक, मनोविज्ञान, संज्ञानात्मक और व्यवहार संबंधी मुद्दों को हल करने में मदद मिलने के लिए देते हैं.


डांस के फायदे


विशेषज्ञों के मुताबिक हमारे शरीर में एंडोर्फिन हार्मोन होता है, जो हमें बेहतर महसूस करने में मदद करता है, इसलिए जब हम डांस करते हैं तो ये ज्यादा मात्रा में रिलीज होता है और हम अच्छा महसूस करते हैं. डांस मुख्य रूप से हमारी मानसिक बीमारियों जैसे चिंता, अवसाद, तनाव का सामना करने में मदद करता है.


डांस का इतिहास


डांस का इतिहास काफी पुराना है. साल 1982 में अंतरराष्ट्रीय डांस डे को पहली बार बैली डांस के निर्माता जीन जॉर्जेस नोवरे एक फ्रांसीसी कोरियोग्राफर के जन्मदिन पर मनाया गया था. अंतरराष्ट्रीय डांस डे की शुरुआत इससे होने वाले फायदे बताने के लिए की गई थी. डांस के जरिए लोग एक दूसरे के साथ खुश होकर साथ में समय बिताते हैं. वहीं माना गया है कि प्रदर्शन कला का ये रूप राजनीतिक और जातीय बाधाओं को दूर करता है. वहीं जीन जॉर्जेस नोवरे कि किताब 'लेट्रेस सुर ला डान्स एट सुर लेस बैले' जिसे उन्होंने साल 1760 में लिखी थी, उसे आज भी डांसर पढ़ते हैं और उसकी पूजा करते हैं.


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