चीन लगातार जताता रहा है दलाई लामा के खिलाफ अपना विरोध
चीन का दावा है कि अरूणाचल प्रदेश, चीन अधिकृत तिब्बत का एक हिस्सा है और इसलिए किसी नेता, अधिकारी और राजनयिक की इस क्षेत्र की यात्रा पर चीन नियमित रूप से आपत्ति जताता रहा है. चीन ने पिछले साल अक्टूबर में भी ऐसे ही आपत्ति जताई थी जब भारत ने राज्य सरकार के न्यौते पर तिब्बती आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा को अरूणाचल प्रदेश की यात्रा की अनुमति दी थी. यह यात्रा इसी साल होने की संभावना है.
गेंग ने कहा, ‘‘चीन विवादित क्षेत्रों में दलाई लामा की यात्रा का घोर विरोध करता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘चीन भारत बॉर्डर विवाद के पूर्वी क्षेत्र (अरूणाचल) पर चीन की स्थिति साफ है. तिब्बत के आध्यात्मिक गुरु दलाई लामा लंबे समय से चीन से तिब्बत की आज़ादी के संघर्ष में लगे हुए हैं और भारत-चीन बॉर्डर विवाद पर लामा को भारत के समर्थन का खासा असर रहा है.’’
बॉर्डर विवाद और भारत-चीन रिश्तों पर असर पड़ने के आसार
गेंग ने कहा कि चीन ने भारत के सामने अपनी चिंता जाहिर की हैं. उन्होंने कहा, ‘‘भारत दलाई मुद्दे की गंभीरता और चीन-भारत बॉर्डर विवाद की गंभीरता को अच्छी तरह से समझता है.’’ उन्होंने कहा, ‘‘ऐसे हाल में अगर भारत दलाई को अरूणाचल का दौरा करने के लिए आमंत्रित करता है तो यह बॉर्डर विवाद, चीन भारत संबंधों की शांति और स्थिरता को गंभीर नुक्सान पहुंचाएगा.’’ गेंग ने कहा, ‘‘हमने भारत को अपनी चिंताओं से अवगत कराया है. भारत से अपनी राजनीतिक प्रतिबद्धताओं पर कायम रहने और बॉर्डर से जुड़े सवाल पर दोनों पक्षों के बीच महत्वपूर्ण आमसहमति का पालन करने, मुद्दे को जटिल बना सकने वाले कदमों से दूर रहने, दलाई को समर्थन नहीं देने और भारत चीन संबंधों के बेहतर और स्थिर विकास के संरक्षण के लिए अनुरोध किया.’’
गेंग ने ये बातें तब कहीं जब बॉर्डर विवाद पर चीन के पूर्व विशेष प्रतिनिधि दाई बिंगुओ ने चीन मीडिया को इंटरव्यू में कहा था कि अगर भारत अरूणाचल प्रदेश के तवांग से अपना दावा छोड़ता है तो दोनों देशों के बीच बॉर्डर विवाद सुलझ सकता है. दाई की टिप्पणियों के बारे में पूछे जाने पर गेंग ने कहा कि उन्होंने ये इंटरव्यू नहीं देखा है.