Russian satellite: एक तरफ रूस-यूक्रेन (Russia-Ukraine) के बीच भीषण जंग जारी है. इस युद्ध के खत्म होने के आसार अभी दिखाई नहीं दे रहे है. इस बीच ईरान (Iran) ने रविवार (7 अगस्त) को कहा, वह रूस की तरफ से कुछ दिनों के अंदर लॉन्च किए जाने वाले सैटेलाइट (Satellite) को पहले दिन से नियंत्रित (Control) करेगा. साथ ही उन रिपोर्टों को खारिज कर दिया कि वह यूक्रेन युद्ध (War) में मॉस्को की मदद करेगा. दरअसल, खय्याम नाम का ईरानी रिमोट सेंसिंग सैटेलाइट मंगलवार (9 अगस्त) को कजाकिस्तान (Kazakhstan) के बैकोनूर कोस्मोड्रोम (Baikonur Cosmodrome) से लॉन्च होने वाला है. रूस के राज्य अंतरिक्ष निगम ने इस सप्ताह की शुरुआत में इसकी जानकारी दी थी.


ईरानी अंतरिक्ष एजेंसी ने एक बयान में कहा, 'इस सैटेलाइट के नियंत्रण और संचालन से संबंधित सभी आदेश पहले दिन से और ईरान के अंतरिक्ष ठिकानों में स्थित ईरानी विशेषज्ञों की तरफ से लॉन्च के तुरंत बाद जारी किए जाएंगे.' वाशिंगटन पोस्ट ने गुरुवार (4 अगस्त) को बताया था कि अज्ञात पश्चिमी खुफिया अधिकारियों के अनुसार, 'ईरान को नियंत्रण करने की अनुमति देने से पहले यूक्रेन में अपने युद्ध प्रयासों में सहायता के लिए रूस कई महीनों या उससे अधिक समय तक सैटेलाइट का इस्तेमाल करने की योजना बना रहा है.'


रूस क्या सैटेलाइट का इस्तेमाल युद्ध में करेगा?
उन्होंने कहा, सैटेलाइट तेहरान को 'अभूतपूर्व क्षमताएं प्रदान करेगा, जिसमें इजराइल में संवेदनशील सुविधाओं की निरंतर निगरानी और खाड़ी में शामिल है', लेकिन रिपोर्ट में कहा गया है, मॉस्को पहले सैटेलाइट का इस्तेमाल यूक्रेन संघर्ष में 'सैन्य ठिकानों की निगरानी बढ़ाने' के लिए करेगा. ईरानी अंतरिक्ष एजेंसी ने दावों को खारिज कर दिया, ये कहते हुए कि 'कोई तीसरा देश अपने एन्क्रिप्टेड एल्गोरिथम के कारण सैटेलाइट द्वारा भेजी गई जानकारी तक पहुंचने में सक्षम नहीं है'.


जानिए किसके नाम पर रखा गया सैटेलाइट का नाम
ईरानी एजेंसी ने इस सप्ताह की शुरुआत में कहा था कि सैटेलाइट जाहिर तौर पर 11वीं -12वीं शताब्दी के फारसी पोलीमैथ उमर खय्याम के नाम पर रखा गया है, जिसका उद्देश्य 'देश की सीमाओं की निगरानी करना, कृषि उत्पादकता को बढ़ाना और जल संसाधनों और प्राकृतिक आपदाओं की निगरानी करना है'. दरअसल, नए सैटेलाइट के बारे में घोषणा रूसी राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के तेहरान की यात्रा के दो सप्ताह बाद की गई थी.


बैलिस्टिक मिसाइलों में इस्तेमाल से  इनकार
ईरान जोर देकर कहता है कि उसका अंतरिक्ष कार्यक्रम केवल नागरिक और रक्षा उद्देश्यों के लिए है. ईरान और विश्व शक्तियों या किसी अन्य अंतरराष्ट्रीय समझौते के बीच 2015 के परमाणु समझौते का उल्लंघन नहीं करता है. पश्चिमी सरकारें इस बात को लेकर चिंतित हैं कि सैटेलाइट प्रक्षेपण प्रणाली में उन प्रौद्योगिकियों को शामिल किया जा सकता है जो परमाणु हथियार पहुंचाने में सक्षम बैलिस्टिक मिसाइलों में इस्तेमाल की जा सकती हैं, कुछ ऐसा जिसे ईरान ने हमेशा बनाने से इनकार किया है.


2020 में ईरान का पहला सैटेलाइट कक्षा में स्थापित
दरअसल, ईरान (Iran) ने अप्रैल 2020 में सफलतापूर्वक अपना पहला सैन्य सैटेलाइट (Satellite) कक्षा में स्थापित किया, जिसे संयुक्त राज्य अमेरिका से कड़ी फटकार मिली थी. मार्च में ईरानी सेना की रिवोल्यूशनरी गार्ड्स ने घोषणा की कि उसने सफलतापूर्वक एक सैन्य 'टोही सैटेलाइट' (Reconnaissance Satellite), नूर -2 (Nour-2) को कक्षा में स्थापित कर दिया है.


यह भी पढ़ेंः  


Bihar Politics: NDA में रार! JDU के वार पर BJP का पलटवार- ललन सिंह किस पर आरोप लगा रहे हैं, वही बता सकते हैं


Bihar NDA में रार, RCP Singh ने मचाया सियासी संग्राम! ललन बोले- JDU का एक ही मालिक, जिसका नाम नीतीश कुमार