Iran-US Relations: ईरान और अमेरिका के बीच दुश्मनी का इतिहास लगभग 50 साल पुराना है. जब से ईरान ने परमाणु हथियार बनाने की चाहत दिखाई है, तब से तो रिश्ते और भी ज्यादा खराब हो गए हैं. फारस की खाड़ी में भी दोनों देश आमने-सामने आते रहते हैं. इस बीच ईरान की एक अदालत ने अमेरिकी सरकार को आदेश दिया है कि वह उसकी सरकार को 330 मिलियन डॉलर यानी 2700 करोड़ रुपये का मुआवजा दे.
ईरान की अदालत का फैसला जिस किसी ने भी सुना है, वो अचरज में पड़ गया. हर कोई ये जानकर हैरान है कि एक-दूसरे को फूटी आंख न सुहाने वाले इन दोनों मुल्कों के बीच किस पैसे को लेकर बात हो रही है. दरअसल, ये मामला 43 साल पुराना है. 1980 में ईरान में नई-नई सरकार बनी थी. उस समय अमेरिका ने इसे गिराने की कोशिश की थी. अदालत ने अमेरिका की इस हरकत को लेकर ही उससे मुआवजा मांगा है.
तख्तापलट की वजह से क्या हुआ?
अदालत ने कहा कि 1980 में इस्लामिक रिपब्लिक ऑफ ईरान में नई सरकार बनी. उस समय अमेरिका ने तख्तापलट करने की कोशिश की. हम इसकी भरपाई के लिए अमेरिकी सरकार को 330 मिलियन डॉलर का मुआवजा देने का आदेश देते हैं. 1979 में ईरान में हुई इस्लामिक क्रांति के जरिए अमेरिका समर्थित रेजा शाह पहलवी का तख्तापलट किया गया. फिर नई सरकार बनी और अमेरिका ने सैन्य अधिकारियों के ग्रुप के साथ इसे गिराने की कोशिश की.
सरकारी न्यूज एजेंसी IRNA ने बताया कि पूर्व एयरफोर्स कमांडर सईद महदीन के नेतृत्व में विद्रोहियों ने सरकार को गिराने का प्रयास किया. उनके साथ काफी लोग शामिल थे. इस दौरान हुई झड़प में कई लोगों की मौत हो गई, जबकि बड़ी संख्या में लोग घायल हुए. विद्रोहियों का मकसद देश के अलग-अलग मिलिट्री बेस को कब्जाना था. वह इस्लामिक क्रांति लाने वाले नेताओं की भी हत्या करना चाहते थे. हालांकि, उनके प्रयासों को वहीं खत्म कर दिया गया.
अमेरिका के खिलाफ अदालत गए लोग
समाचार एजेंसी एएफपी के मुताबिक, पिछले साल अमेरिकी तख्तापलट की कोशिश के दौरान जान गंवाने वाले लोगों के रिश्तेदारों ने ईरान की इंटरनेशनल कोर्ट में एक याचिका दायर की. इसमें उन्हें हुए नुकसान के लिए मुआवजा मांगा गया. उनका कहना था कि अमेरिका ने ही तख्तापलट की प्लानिंग की थी. उसकी वजह से ही लोगों को जान गंवानी पड़ी. अदालत ने इसी मामले की सुनवाई करते हुए अमेरिकी सरकार को 2700 करोड़ रुपये मुआवजे के तौर पर देने का आदेश दिया.
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