Iran Protest : ईरान की न्यायपालिका ने 23 साल के मजीद रेजा रहनवार्ड को सार्वजनिक रूप से फांसी देने की सजा सुनाई है. इसके बाद सोमवार (12 दिसंबर) को उसे शहर के बीच चौराहे पर टांग दिया गया. अदालत ने उन्हें "ईश्वर के खिलाफ शत्रुता" के आरोप में दोषी ठहराया. इसके बाद ईरान के मानवाधिकार समूहों ने चेतावनी दी है कि बिना किसी उचित न्यायिक प्रक्रिया के प्रदर्शनकारियों को मौत की सजा दी जा रही है. सुनवाई केवल दिखावटी रूप से हो रही है.


नॉर्वे स्थित ईरान ह्यूमन राइट्स के निदेशक महमूद अमीरी-मोघद्दाम ने ट्वीट किया, "बेहद अनुचित प्रक्रिया और शो ट्रायल के बाद, रेनवार्ड को ज़बरदस्ती स्वीकारोक्ति के आधार पर मौत की सजा सुनाई गई थी. इस अपराध को इस्लामिक राज्य के लिए गंभीर परिणाम भुगतने चाहिए."







कब दी गई फांसी


पहली फांसी पिछले गुरुवार को दी गई थी, जिससे ईरान की अंतरराष्ट्रीय स्तर पर निंदा हुई थी. 23 साल के मोहसेन शेखरी को तेहरान में बासीज सदस्य पर चाकू से हमला करने के आरोप में ईश्वर के प्रति शत्रुता का दोषी ठहराया गया था.


23 दिन बाद मिली फांसी


मिजान को गिरफ्तारी के 23 दिन बाद ही फांसी दे दी गई थी. मिजान ने पहले बताया था कि उस पर 17 नवंबर को मशहद की एक सड़क पर बासीज के दो सदस्यों की चाकू मारकर हत्या करने का आरोप था. बासिज एक स्वयंसेवी बल है, जिसे अक्सर ईरानी अधिकारियों द्वारा असंतोष को दबाने के लिए तैनात किया जाता है.


आंखों पर बांधी गई थी पट्टी


19 नवंबर को उनकी गिरफ्तारी के बाद स्टेट टीवी पर दिखे एक वीडियो में रहनवार्ड की आंखों पर पट्टी बंधी हुई थी. फुटेज में उसने कहा कि उसने बासीज सदस्यों पर हमला करने से इनकार नहीं किया, लेकिन उस घटना को उसने याद नहीं किया क्योंकि उसकी मानसिक स्थिति सही नहीं थी.


कार्यकर्ताओं ने क्या कहा 


स्टेट टीवी ने सोमवार को यह भी दिखाया कि उसने जो कहा था वह एक क्रांतिकारी अदालत के समक्ष उसके बाद का "कबूलनामा" था. कार्यकर्ताओं का कहना है कि ईरानी सरकारी मीडिया नियमित रूप से बंदियों के झूठे कबूलनामे प्रसारित करता है, जिन्हें यातना और अन्य दुर्व्यवहार के जरिये मजबूर किया जाता है.


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