महिलाओं के विरोध के आगे झुक गया ईरान! नए हिजाब कानून के लागू होने पर लगाई रोक
Provisions in the Law : नए हिजाब कानून में बाल, बांह और पैर के निचले हिस्से तक ठीक से न ढकने वाली महिलाओं और लड़कियों पर भारी जुर्माना और 15 साल तक की जेल की सजा का प्राविधान किया गया है.
Hijab Law of Iran : ईरान में हिजाब को लेकर लगातार विरोध जारी है. हिजाब को लेकर बढ़ते घरेलू और अंतरराष्ट्रीय विरोध के बीच ईरान ने अपने नए हिजाब कानून के लागू होने पर रोक लगा दी है. ईरान की राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद ने पिछले शुक्रवार (13 दिसंबर) को लागू होने वाले विवादित हिजाब और पवित्रता कानून को लागू होने को रोक दिया है.
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेजेश्कियान ने हिजाब कानून को लेकर कहा था कि यह कानून अस्पष्ट है और इसमें सुधार की जरूरत है. राष्ट्रपति ने संकेत दिया था कि इस नए हिजाब और पवित्रता कानून को लागू करने से पहले इसके प्रावधानों पर फिर से विचार किया जा सकता है.
नए हिजाब कानून में कड़ी सजा का किया प्राविधान
उल्लेखनीय है कि ईरान के नए हिजाब और पवित्रता कानून में वैसी महिलाओं और लड़कियों के लिए कड़ी सजा का प्रावधान किया गया है जो अपने बाल, बांह और पैर के निचले हिस्से को पूरी तरह से नहीं ढकती है. नए हिजाब कानून में ऐसी महिलाओं और लड़कियों पर भारी जुर्माना और 15 साल तक की जेल की सजा का प्रावधान किया गया है.
घरेलू व अंतरराष्ट्रीय स्तर पर हो रहा विरोध
ईरान के नए हिजाब कानून को लेकर एमनेष्टी इंटरनेशनल समेय कई मानवाधिकार संगठनों ने इस कानून की कड़ी निंदा की है. एमनेष्टी ने ईरानी अधिकारियों पर ‘दमन की दमघोंटू व्यवस्था को और मजबूत करने की कोशिश’ करने का आरोप लगाया है. वहीं, ईरान के महिला और परिवार मामलों की पूर्व उपाध्यक्ष मासूमे एब्तेकार ने भी इस कानून की आलोचना की और इसे ईरान की आधी आबादी के लिए अभियोग बताया.
राष्ट्रपति ने किया था व्यक्तिगत स्वतंत्रता के सम्मान का वादा
इस साल की शुरुआत में राष्ट्रपति चुनाव के दौरान पेजेश्कियान ने हिजाब को लेकर महिलाओं के साथ सरकार के व्यवहार पर अपनी असहमति जताई थी. वहीं, उन्होंने लोगों के व्यक्तिगत स्वतंत्रता का सम्मान करने का वादा किया था, जो कि ईरानी युवाओं के बीच काफी लोकप्रिय हुआ था.
BBC की रिपोर्ट के मुताबिक, 300 से अधिक ईरानी कार्यकर्ता, लेखक और पत्रकारों ने हाल ही में एक बयान पर हस्ताक्षर किए, जिसमें प्रस्तावित हिजाब कानून का ‘अवैध’ बताते हुए राष्ट्रपति पेजेश्कियान से अपने वादे को पूरा करने का आग्रह किया गया.