23 मई यानी बीते बुधवार को ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी और अन्य अधिकारियों का मशहद शहर में अंतिम संस्कार किया गया. रईसी को आखिरी विदाई देने देशभर के विभिन्न जगहों से हजारों लोग राजधानी तेहरान पहुंचे थे. ईरानियों की इस भीड़ ने अंतिम संस्कार के दौरान निकाले गए जुलूस में "इजरायल की मौत" के जमकर नारे लगाए.
इन नारों ने एक बार फिर ईरान और इजरायल के बीच वर्षों से चल रहे शैडो वॉर को पर प्रकाश डाल दिया है. दरअसल ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की मौत ने कई सवाल खड़े कर दिए हैं. ये दुर्घटना ऐसे वक्त में हुई है जब इजरायल और ईरान के बीच तनाव चरम पर है.
ऐसे में हेलीकॉप्टर दुर्घटना के पीछे भी शक की उंगली इजरायल पर उठाई जा रही है. हालांकि इजरायली अधिकारी ने यह स्पष्ट कर दिया है कि ईरानी राष्ट्रपति इब्राहिम रायसी की मौत से इजरायल का कोई लेना देना नहीं है.
माना जाता है कि इजरायल ने पिछले कुछ सालों में ईरानी धरती पर कई हत्याएं, ड्रोन हमले और खुफिया ऑपरेशन किए हैं. हालांकि इजरायल भी ईरान को अपने लिए सबसे बड़ा खतरा मानता है.
दशकों पुरानी है दुश्मनी
ईरान और इजरायल के बीच की दुश्मनी दशकों पुरानी है. ईरान और इजरायल मध्य पूर्व के सबसे कट्टर दुश्मन हैं. इन दोनों देशों के बीच जमीन से लेकर समुद्र, वायु और साइबर स्पेस में गुप्त हमलों का एक लंबा इतिहास रहा है. हालांकि, खुलकर दोनों में से किसी ने कभी इन हमलों की जिम्मेदारी नहीं ली. यह पहली बार है कि दोनों खुलकर आमने-सामने आ गए हैं.
ऐसे में इस रिपोर्ट में विस्तार से जानते हैं कि इजरायल ने ईरान में घुसकर कब-कब और किस तरह किया अटैक?
इजरायल क्यों मानता है ईरान को खतरा
दरअसल लंबे समय से इजरायल आरोप लगाता रहा है कि ईरान परमाणु बम तैयार करने में जुटा है और इजरायल ईरान के इस परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरा मानता है. यही वजह है कि ईरान के 13 अप्रैल को इजरायल पर हमले के जवाब में इजरायल ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठान वाले इस्फ़हान शहर को निशाना बनाया था. हालांकि ईरान का दावा है कि उस हमले में ईरान का कोई नुकसान नहीं हुआ.
इजरायल ने इसके पहले भी साल 1981 में इराक के रिएक्टर और साल 2007 में सीरिया के परमाणु स्थल पर बमबारी की थी. हालांकि ईरान के ज्यादातर परमाणु स्थल जमीन के बहुत अंदर बनाए गए हैं, जिससे उन तक पहुंचना मुश्किल हो जाता है.
इजरायल ने ईरान में घुसकर कब-कब किया अटैक?
नवंबर 2020: ईरानी परमाणु वैज्ञानिक मोहसिन फखरीजादेह, जिनके बारे में पश्चिमी और इजरायली खुफिया एजेंसी ईरान के संदिग्ध परमाणु हथियार कार्यक्रम का जनक मानती थी, तेहरान के बाहर सड़क किनारे हमले में मारे गए थे.
ईरान ने इस हत्या के पीछे इज़राइल का हाथ बताया था. उस हत्या के बाद एक ईरानी टीवी चैनल से बात करते हुए, ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के सचिव, रियर-एडमिरल अली शामखानी ने कहा था कि, इजरायल ने इस ऑपरेशन को अंजाम देने के लिए इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों का उपयोग किया था इसलिए घटनास्थल पर कोई भी मौजूद नहीं था."
फखरीज़ादेह की कार चलाते समय सड़क किनारे खड़े एक ट्रक पर लगी रोबोटिक मशीन गन से हत्या कर दी गई थी. इस मशीन गम को हैंडल कर रहा मानव स्नाइपर ने कथित तौर पर 1,500 किलोमीटर दूर एक अज्ञात स्थान से ऑपरेशन को अंजाम दिया. इस ऑपरेशन में पहली बार विदेशी धरती पर किसी हत्या को अंजाम देने के एआई गन का किया गया था.
जनवरी 2010
माना जाता है फखरीजादेह की हत्या के अलावा भी इजरायल ने खुफिया ऑपरेशन के तहत चार अन्य ईरानी वैज्ञानिकों और अधिकारियों की हत्या की है. इन हमलों को इजरायल ने रिमोट-नियंत्रित बमों या जमीन पर मानव निशानेबाजों का उपयोग करके अंजाम दिया गया था.
जनवरी 2010 में, तेहरान विश्वविद्यालय में फिजिक्स के प्रोफेसर मसूद अली-मोहम्मदी की उनकी मोटरसाइकिल में लगाए गए रिमोट-कंट्रोल बम से हत्या कर दी गई थी. अली-मोहम्मदी एक परमाणु वैज्ञानिक थे. उनकी हत्या के बाद ईरानी मीडिया ने दावा किया कि इजराइल और अमेरिका (यूएस) ने उनकी हत्या कर दी थी.
नवंबर 2010
साल 2010 के नवंबर महीने में तेहरान में शाहिद बेहिश्ती विश्वविद्यालय के परमाणु इंजीनियरिंग संकाय के प्रोफेसर माजिद शहरियारी की कार विस्फोट से मौत हो गई थी. इस हमले के पीछे भी अमेरिका और इजराइल को जिम्मेदार ठहराया गया था.
जनवरी 2012
जनवरी 2012 में, एक और परमाणु वैज्ञानिक मुस्तफ़ा अहमदी रोशन की कार में बम विस्फोट होने से मौत हो गई थी. इस बार भी ईरान ने हमले के लिए इजरायल और अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया था.
मई 2022
मई 2022 में, ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) के एक अधिकारी कर्नल हसन सैय्यद खोदाई की तेहरान में उनके घर के बाहर गोली मारकर हत्या कर दी गई थी. इसके बाद, ईरान की सर्वोच्च राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद के एक सदस्य ने आरोप लगाया था कि खोदाई की हत्या "निश्चित रूप से इजरायल का काम" था.
साइबर हमले और ड्रोन हमले
ऐसा माना जाता है कि इजरायल ईरान पर हुए कम से कम आठ प्रमुख साइबर हमले में भी शामिल रहा है, जिनमें से सबसे प्रसिद्ध 2010 का स्टक्सनेट वायरस से जुड़ा हमला था. खतरनाक कंप्यूटर वायरस स्टक्सनेट (Stuxnet) को अमेरिका और इजरायल ने विकसित किया था और इसका इस्तेमाल ईरान के नटान्ज़ परमाणु स्थल पर यूरेनियम संवर्धन केंद्र पर हमला करने के लिए किया गया था. यह किसी भी देश में हुआ पहला सार्वजनिक रूप से ज्ञात साइबर हमला था. ईरान ने इस हमले के लिए इजरायल और अमेरिका को जिम्मेदार ठहराया था.
जनवरी 2018
साल 2018 के जनवरी महीने में, मोसाद एजेंटों ने कथित तौर पर तेहरान में एक सिक्यौर फैसिलिटी पर छापा मारकर परमाणु जानकारी चुरा ली थी. इसी साल के अप्रैल महीने में, इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने कहा कि इजरायल को 100,000 "गुप्त फ़ाइलें" मिली हैं जो साबित करती हैं कि ईरान ने कभी भी परमाणु हथियार कार्यक्रम नहीं होने के बारे में झूठ बोला था.
इजरायल-ईरान के बीच ताजा हमले का कार
साल 2024 के 1 अप्रैल को सीरिया में ईरान के वाणिज्य दूतावास पर हमला किया गया था. इस हमले में ईरान के टॉप कमांडर समेत कई सैन्य अधिकारियों की मौत हो गई थी. ईरान ने इस हमले के पीछे इजरायल को जिम्मेदार ठहराया था और बदला लेने के लिए ईरान ने इजरायल पर ताबड़तोड़ हमले किए और इस कार्रवाई को ऑपरेशन ट्रू प्रॉमिस का नाम दिया गया.
ईरान ने 13 अप्रैल को इजरायल पर 300 से ज्यादा अलग-अलग तरीके से ड्रोन हमले किए थे, जिनमें किलर ड्रोन से लेकर बैलिस्टिक मिसाइल और क्रूज मिसाइल शामिल थी. वहीं इस हमले कुछ देर बाद ही इजरायली सेना ने ईरान के परमाणु प्रतिष्ठान वाले इस्फ़हान शहर को निशाना बनाया.
हालांकि ईरान ने दावा किया कि इजरायल की तरफ से उनकी जमीन पर कोई हमला नहीं हुआ है. ईरान ने कहा कि उनकी वायु रक्षा प्रणाली ने हवा में ही कुछ ऑब्जेक्ट को नष्ट कर दिया.