Jaish Al Adal: ईरानी सेना ने मंगलवार को पाकिस्तान के बलूचिस्तान इलाके में मिसाइल और ड्रोन से हमले किए. ईरान ने दावा किया कि इस इलाके में आतंकी संगठन जैश अल-अदल ने ठिकाना बनाया हुआ है. इस हमले के बाद पाकिस्तान और ईरान के कूटनीतिक संबंधों में भी खटास आ गयी. पाकिस्तान ने ईरान से अपने राजनयिकों को वापस बुला लिया और पाकिस्तान में ईरानी राजनयिकों के लिए अपने दरवाजे बंद कर लिए हैं.
गुरुवार (18 जनवरी) को पाकिस्तान ने भी ईरान के इलाके में हवाई हमले किए हैं. आतंकी संगठन जैश-अल अदल ने भी हमले पर प्रतिक्रिया दी है. संगठन ने अपने टेलीग्राम चैनल अद्ल मीडिया पर लिखा, "ईरान ने संगठन के कुछ सदस्यों के घरों पर हमला किया. हमले की वजह से दो सदस्यों का घर तबाह हो गया और उनके परिजनों की मौत हो गई. उनके परिवार के सदस्यों की मौत हुई और वो घायल भी हुए हैं.
क्या है जैश अल-अदल?
जैश अल अदल आतंकवादी संगठन है. साल 2012 तक इस संगठन का नाम जुनदुल्लाह हुआ करता था. संगठन का दावा है कि ये ईरान के सिस्तान-बलूचिस्तान प्रांत में सुन्नी समुदाय के लोगों के अधिकारों की 'रक्षा' करता है. ईरान दावा करता रहा है कि जैश अल-अदल को पाकिस्तान में पनाह दी जाती है. इस आतंकी संगठन का नेता है सलाहुद्दीन फारुकी.
वह साल 2011 से इस संगठन का नेता है. साल 2003 में अब्दुल मलिक रेगी ने जैश अल अदल की नींव रखी थी, काफी वक्त तक वह संगठन का नेता भी था. हालांकि साल 2010 में ईरान में गिरफ्तार कर लिया गया था और फिर उसे मौत की सजा दे दी गई.
कितने हमलों में जैश अल-अदल का नाम?
जैश अल-अदल अमूमन ईरानी सैनिकों को निशाना बनाता है. साल 2009 के मई में संगठन ने ईरान के जहेदान की एक मस्जिद में फिदायीन हमला किया था. इस हमले में कम से कम 30 लोगों की मौत हो गई थी जबकि 300 घायल हुए थे. इसके बाद ईरान के पिशिन में खुले बाजार में एक फिदायीन हमले में 40 लोगों की मौत हुई थी. इस हमले में भी जैश अल-अदल का हाथ था.
2010 में ईरान के चाहबहार में एक मस्जिद पर हमले में भी जैश अल-अदल का हाथ था. हमले में करीब 40 नागरिक मारे गए थे और 100 को गंभीर चोटें आई थीं. 2019 में भी संगठन ने ईरानी सेना को ले जा रही एक बस में बम धमाका किया था जिसमें 27 की मौत हुई थी और 18 घायल हुए थे. 2022 में जैश अल-अदल ने सिस्तान-बलूचिस्तान पुलिस थाने पर हमला कर दिया था और 19 लोगों को मौत के घाट उतार दिया था.
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