Iran Pakistan Gas Pipeline: पाकिस्तान पर ईरान 18 अरब डॉलर का जुर्माना ठोकने की तैयारी कर रहा है. इसको लेकर ईरान ने पाकिस्तान को नोटिस पकड़ा दिया है. पाकिस्तान के लिए जुर्माने की राशि, दोनों देशों के बीच चल रही मिसाइलों के वार से ज्यादा घातक साबित हो सकती है, क्योंकि कंगाल पाकिस्तान के लिए 18 अरब डॉलर की राशि बहुत ज्यादा है.
दरअसल, ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना में पाकिस्तान काम नहीं कर रहा है. इस दौरान पाकिस्तान के खिलाफ ईरान, इंटरनेशनल मध्यस्थता (International Arbitration) के लिए जा सकता है और इसके तहत पाकिस्तान पर 18 अरब डॉलर का जुर्माना लग सकता है. फिलहाल, एक रिपोर्ट के मुताबिक ईरान की ओर से गैस पाइपलाइन परियोजना की समय सीमा 180 दिन बढ़ाकर सितंबर 2024 तक की गई है.
सीमा पर तनाव की वजह से नहीं पहुंची टीम- अधिकारी
जियो न्यूज ने पाकिस्तान के अधिकारियों के हवाले से कहा कि ईरान ने गैस पाइपलाइन परियोजना को पूरा करने के लिए अपनी कानूनी और तकनीकी टीम को भेजने की बात कही है. ईरान के विशेषज्ञ गैस पाइपलाइन परियोजना से जुड़ी बातचीत करने के लिए 21 जनवरी को पाकिस्तान आने वाले थे, लेकिन दोनों देशों के बीच सीमा पर तनाव बढ़ जाने की वजह से ये टीम अभी तक पाकिस्तान नहीं आ सकी है.
जियो न्यूज ने अपने रिपोर्ट में लिखा- अधिकारियों के मुताबिक अब ईरान के एक्सपर्ट्स फरवरी के दूसरे सप्ताह में पाकिस्तान आएंगे. इस दौरान दोनों देशों की कोऑर्डिनेशन कमेटी इस परियोजना को सफल बनाने के लिए रणनीति बनाएगी. बताया जाता है कि ईरान की तरफ से इस टीम में अंतरराष्ट्रीय कानूनों के जानकार और इंजीनयरिंग के विशेषज्ञ शामिल होंगे.
पाकिस्तान को ईरान दे चुका है तीन नोटिस- रिपोर्ट
एक रिपोर्ट के मुताबिक 2014 से ही इस परियोजना में देरी हो रही है. इसको लेकर ईरान अबतक पाकिस्तान को तीन नोटिस दे चुका है. ईरान ने आखिरी नोटिस करीब 25 दिन पहले दिया था. इससे पहले ईरान ने साल 2022 के आखिरी महीने दूसरा नोटिस पाकिस्तान को दिया था. इस दौरान ईरान ने पाकिस्तान को चेतावनी देते हुए कहा था कि अगर परियोजना पर काम नहीं होगा तो 18 अरब डॉलर का जुर्माना देने के लिए पाकिस्तान तैयार रहे. वहीं इसके पहले ईरान ने साल 2019 में पहली नोटिस पाकिस्तान को भेजा था.
पाकिस्तान के जवाब पर क्या कहा ईरान
ईरान-पाकिस्तान गैस पाइपलाइन परियोजना को लेकर पाकिस्तान का कहना है कि ईरान पर अमेरिका ने कई तरह के प्रतिबंध लगाए हैं, जिसकी वजह से परियोजना बाधित है. वहीं इसपर ईरान का कहना है कि अमेरिकी प्रतिबंध बताकर अपना पल्ला झाड़ लेना उचित नहीं हैं. इराक और तुर्की लंबे समय से ईरान के गैस का प्रयोग कर रहे हैं, क्योंकि इरान और तुर्की ने अमेरिकी प्रतिबंधों पर छूट हासिल कर ली है.
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