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अब ईरान में ऐसा क्या हो गया कि लोग सरकार के खिलाफ ही सड़कों पर उतर गए?

कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान की जनता सरकार के साथ खड़ी थी और अमेरिका से बदले की मांग कर रही थी. लेकिन अचानक सबकुछ बदल गया. अब उसी ईरान की जनता अपने सरकार के खिलाफ ही सड़कों पर उतर आई है. अब सवाल है कि आखिर ऐसा क्या हो गया?

तेहरान: ईरान में चार दिन पहले मेजर जनरल कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने की मांग को लेकर देश सड़कों पर उतर आया था. आज उसी ईरान की सड़कों से जनता कासिम सुलेमानी के पोस्टर उखाड़ कर फेंक रही है. लोग चार दिन पहले डेथ टू अमेरिका के नारे लग रहे थे आज उसी ईरान में डेथ टू डिक्टेटरशिप की आवाज गूंज रही है. चार दिन में ऐसा क्या हो गया कि ईरान में सबकुछ बदल गया. जो देश सरकार के फैसलों में उसके साथ खड़ा दिख रहा था वो अचानक ईरान की सरकार को सत्ता छोड़ने के लिए कहने लगा.

रोंगटे खड़े कर देने वाली ये तस्वीर ईरान से आई है. जहां हाथ में बंदूक लिए ईरान की रेवोल्यूशनरी फोर्स के गार्ड एक परिवार से पूछ रहे हैं कि मार दें गोली? इस वीडियो को ट्वीट करते हुए लिखा गया कि ये किसी फिल्म या उपन्यास की कहानी नहीं बल्कि ईरान की हकीकत है. वॉल स्ट्रीट जर्नल की वॉर करसपॉन्डेट फरनाज फसीही ने ट्वीट करते हुए लिखा कि बीच ट्रैफिक में ईरान के नागरिक से बंदूक तानकर पूछा जा रहा है कि क्या तुम्हें गोली मार दें?

ईरान के नागरिकों पर बंदूक तानने की नौबत क्यों आई?

ईरान में सरकार के खिलाफ प्रदर्शन हो रहे हैं और इन प्रदर्शनों के बीच से कुछ ऐसी तस्वीरें भी आई हैं जिसने पूरी दुनिया को चौंका दिया है. ईरान में सरकार के खिलाफ सड़कों पर उतरे लोग कासिम सुलेमानी के पोस्टर पर ही नाराजगी जाहिर कर रहे हैं. वो ही कासिम सुलेमानी जिनके शव को सिर्फ छू लेने भर के लिए ईरान में होड़ मची थी. कासिम सुलेमानी जो 8 जनवरी तक ईरान के सबसे बड़े हीरो थे और अपनी हीरो की मौत का बदला मांगने के लिए ईरान सड़कों पर उतर आया था. 3 जनवरी को अमेरिका ने ड्रोन हमले में कासिम सुलेमानी को मार गिराया था जिसके बाद बदले की आग में ईरान जल उठा था.

आखिर ईरान में ऐसा क्या हो गया?

ईरान ने दावा किया कि कासिम सुलेमानी की मौत का बदला लेने के लिए उसने अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर ताबड़तोड़ 22 मिसाइलों से हमला किया. ईरान अपने देश को बताना चाहता था कि उसने अमेरिका को सबक सिखाया है हालांकि इस हमले में किसी भी अमेरिकी सैनिक की मौत नहीं हुई थी.

लेकिन बुधवार सुबह एक खबर आई जिसे सुनकर हर कोई परेशान हो गया. यूक्रेन का एक यात्री विमान तेहरान में क्रैश हो गया था. ईरान ने कहा कि तकनीकी खामी की वजह से विमान क्रैश हुआ लेकिन बहुत जल्द अमेरिकी मीडिया ने ये वीडियो जारी किया. जिसमें विमान से ईरान की मिसाइल टकराते हुए दिख रही थी.

ईरान ने जमीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल से यूक्रेन के यात्री विमान को मार गिराया था जिसमें 176 नागरिक सवार थे और इस विमान ईरान के 82 यात्री सवार थे. ईरान को लगा कि ये अमेरिका का बम बरसाने वाला विमान है. पहले तो ईरान अपने इस गुनाह को छिपाने की कोशिश करता रहा लेकिन जब ईरान को लगा अब ये बात छिपाई नहीं जा सकेगी तो 11 जनवरी को ईरान के विदेश मंत्री ने ट्वीट करके कहा कि अमेरिकी दुस्साहस की वजह से इंसानी गलती हुई हम इस हादसे में मारे गए लोगों के परिवार और तमाम प्रभावित देशों से माफी मांगते हैं. अपने देश का गुस्सा शांत करने के लिए ईरान की रेवोल्यूशनरी गार्ड्स फोर्स के कमांडर ने संसद में बयान दिय़ा था कि काश वो भी इस हादसे में मर गए होते.

जैसे ही ईरान की जनता को ये पता चला कि अमेरिका से बदला लेने निकला उनका देश अपने ही 82 निर्दोष नागरिकों की मौत का जिम्मेदार है तो लोग सड़कों पर निकल पड़े. सरकार के खिलाफ प्रदर्शन जोर पकड़ने लगे. सुलेमानी की मौत के बाद ईरान में डेथ टू अमेरिका के नारे सुने गए उसी ईरान में डेथ टू डिक्टेटरशिप गूंज रहा है. प्रदर्शन को दबाने के लिए लोगों पर गोलियां तक चल गईं.

इन तस्वीरों अमेरिका के राष्ट्रपति डोनल्ड ट्रंप ने ट्वीट किया और यहां ध्यान देने वाली बात ये है कि उन्होंने फारसी भाषा में ट्वीट किया. ट्रंप का मकसद था कि उनकी बात ईरान के हर नागरिक तक पहुंचे ट्रंप ने लिखा, ''राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार ने बताया कि प्रतिबंध और प्रदर्शन की वजह से ईरान चोक हो गया है. ये उन्हें समझौते के लिए मजबूर करेगा. ये उनके ऊपर है कि समझौता करते हैं या नहीं लेकिन कोई परमाणु हथियार नहीं और अपने प्रदर्शनकारियों को मत मारो.''

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