Ebrahim Raisi China Visit: ईरान (Iran) के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी (Ebrahim Raisi) तीन दिन के दौरे के लिए चीन गए हैं. ईरानी राष्ट्रपति मंगलवार (14 फरवरी) को चीन पहुंचे हैं. ये ईरान के 20 साल के इतिहास में पहली बार है, जब कोई ईरानी राष्ट्रपति चीन के दौरे पर गया हो. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग ने इब्राहिम रईसी के दौरे पर आने के लिए निमंत्रण दिया था. ये निमंत्रण दिसंबर में चीन और खाड़ी सहयोग परिषद (GCC) के एक संयुक्त बयान पर राजनयिक विवाद के बाद आया. इस हाई-प्रोफाइल दौरे पर ईरान और चीन अपने संबंधों को मजबूत बनाने पर ध्यान देंगे.
 
कल तेहरान में एक विकली प्रेस कॉन्फ्रेंस में ईरान के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता नासिर कनानी ने कहा कि इस यात्रा से पता चलता है कि दोनों देशों के बीच संबंधों को बढ़ाने के लिए सर्वोच्च राजनीतिक इच्छाशक्ति मौजूद है. उन्होंने कहा कि 25 साल के राजनीतिक समझौते पर ध्यान देने के साथ ईरानी और चीनी अधिकारियों के बीच चर्चा में आपसी फायदे के लिए महत्वपूर्ण मुद्दे पर बातचीत होगी.


आर्थिक सहयोग पर विचार-विमर्श हो सके


ईरान के राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी के डिप्टी चीफ ऑफ स्टाफ मोहम्मद जमशीदी ने रविवार (12 फरवरी) की रात स्टेट टीवी को बताया कि यात्रा के पीछे का खास मकसद ये है कि दोनों देशों के बीच व्यापक आर्थिक सहयोग पर विचार-विमर्श हो सके. उन्होंने कहा कि दोनों पक्षों के पास दीर्घकालिक रणनीति समझौते को लागू करने के लिए एडवांस सिस्टम है, इसे अंतिम रूप देने के लिए इब्राहिम रईसी की यात्रा में पालन किया जाएगा. ईरान और चीन के बीच 27 मार्च 2021 को 400 अरब डॉलर के समझौते पर तत्कालीन ईरानी विदेश मंत्री जवाद ज़रीफ़ और उनके चीनी समकक्ष वांग ली ने तेहरान में हस्ताक्षर किए थे. जानकारों के अनुसार चीन की महत्वाकांक्षी बुनियादी ढांचा परियोजना बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव में ईरान की भागीदारी का रास्ता साफ होगा. 


चीन ईरान का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर 


सरकारी समाचार एजेंसी IRNA के अनुसार, एनर्जी, ट्रांसिट, एग्रीकल्चर, बिजनेस, और इन्वेस्टमेंट व्यापार और निवेश के एरिया में चीन ईरान का सबसे बड़ा बिजनेस पार्टनर भागीदार बना हुआ है. दोनों देशों के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार (10 फरवरी) को फोन पर बातचीत के दौरान बाईलेटरल रिश्तों को खासकर आर्थिक क्षेत्र में मजबूत करने के महत्व पर जोर दिया. बाईलेटरल रिश्तों के अलावा, यूक्रेन युद्ध, अफगानिस्तान और क्षेत्रीय सुरक्षा सहित क्षेत्रीय मुद्दों पर भी दोनों पक्षों के बीच चर्चा होने की संभावना है. भारत को भी इस पर ध्यान देने की जरूरत है, क्योंकि चीन के साथ भारत के रिश्ते सामान्य नहीं है. इसकी वजह से भारत को अपने हितों पर ध्यान देने की जरूरत है, जिसे भारत को आने वाले समय में किसी भी तरह के दिक्कतों का सामना न करना पड़े.


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