Iran Presidential Elections 2024 : ईरान के राष्‍ट्रपत‍ि इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्टर क्रैश में मौत के बाद आज यानी 5 जुलाई को दूसरे चरण का मतदान किया जा रहा है.इससे पहले 28 जून को चुनाव हुआ था, लेकिन किसी भी प्रत्याशी को बहुमत नहीं मिला था. 50 फीसदी से ज्यादा वोट नहीं मिलने पर दोबारा मतदान कराया जाता है, इसलिए आज फिर से वोटिंग शुरू की जाएगी. ईरान में कौन चुनाव लड़ेगा इसका फैसला उनके देश की गार्डियन काउंसिल करती है, जिसके सदस्यों को खुद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई नामित करते हैं. ईरान में 28 जून को हुई वोटिंग की गिनती 29 जून को की गई थी, जिसमें मसूद पेजेशकियन को 42.5 फीसदी तो सईद जलीली को 38.8 फीसदी वोट मिले थे. वहीं, कंजर्वेटिव पार्लियामेंट के स्‍पीकर मोहम्‍मद बकर कलिबाफ 13.8 फीसद वोट मिले थे. मसूद पेजेशकियन मोहम्‍मद खतामी की सरकार में हेल्‍थ मिनिस्‍टर रह चुके हैं.


सुप्रीम लीडर और राष्ट्रपति की ये हैं अधिकार
ईरान सरकार के स्ट्रक्चर को देखें तो सबसे ज्यादा शक्ति सुप्रीम लीडर को मिलती हैं. ईरान में सुप्रीम लीडर सबसे ऊपर रहता है. उनके बाद राष्ट्रपति, न्यायपालिका, संसद, गार्जियन काउंसिल और आर्म्स फोर्स को रखा गया है. ईरान में सबसे ताकतवर व्यक्ति सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई हैं, वह 1989 से अब तक देश के सर्वोच्च नेता हैं. वह स्टेट हेड और कमांडर-इन-चीफ हैं. उनके पास राष्ट्रीय पुलिस और मोरिलिटी पुलिस को आदेश देने के अधिकार हैं. सुप्रीम लीडर इस्लामिक रिवॉल्यूशन गार्ड कॉर्प्स को नियंत्रित करता है. न्यायपालिका के प्रमुख को भी वही चुनते हैं. सुप्रीम लीडर के बाद राष्ट्रपति ईरान के शीर्ष अधिकारी और दूसरे सबसे ताकतवर शख्स हैं. 


सुप्रीम लीडर के बिना पत्ता भी नहीं हिलता
ईरान में जो कुछ भी होता है, वह सुप्रीम लीडर की मर्जी से ही होता है. ईरान में भले ही राष्ट्रपति और उपराष्ट्रपति होते हैं, लेकिन पावर कंट्रोल सुप्रीम लीडर के पास ही है. राष्ट्रपति चुनाव में कैंडिडेट के नामों पर भी सुप्रीम लीडर की ही मुहर लगती है. ईरान में वही शख्स राष्ट्रपति पद के लिए कैंडिडेट बनता है, जिसे काउंसिल ऑफ गार्डियन्स अप्रूव करता है. ईरान में चाहे घरेलू नीति हो या विदेश नीति या फिर जनरल पॉलिसी, हर चीज के लिए सुप्रीम लीडर ही जिम्मेदार है. ईरान की सभी सेनाओं की कमांड सुप्रीम लीडर के पास ही होती है. सुप्रीम लीडर ही वह शख्स है, जो किसी युद्ध का ऐलान कर सकता है या फिर शांति की घोषणा कर सकता है. अगर ईरान में इस समय सबसे ताकतवर व्यक्ति की बात की जाए तो वह सुप्रीम लीडर अयातुल्ला अली खामेनेई हैं, 


संसद में 290 सदस्यों का होता है चुनाव
हर 4 साल में ईरानी संसद के 290 सदस्य चुने जाते हैं. संसद कानून का मसौदा तैयार कर देश के बजट को मंजूरी देती है. हालांकि, संसद पर गार्जियन काउंसिल का नियंत्रण है, जो प्रभावशाली बॉडी है. ये शरिया या इस्लामी कानून की नजर से सभी कानूनों की जांच करता है और कानून रद्द कर सकता है. काउंसिल के आधे सदस्य सुप्रीम लीडर ही नियुक्त करता है. सुप्रीम लीडर ही न्यायपालिका के प्रमुख की नियुक्ति करता है. भारत में चुनाव कराने की जिम्मेदारी चुनाव आयोग की होती है, लेकिन ईरान में गार्डियन काउंसिल चुनाव कराती है. यह सुप्रीम लीडर की देखरेख में 6 इस्लामी जजों और 6 वरिष्ठ मौलवियों का एक पैनल होता है. यह पैनल तकनीकी और वैचारिक आधार पर चुनाव लड़ने के इच्छुक उम्मीदवारों की जांच करता है. इसमें शिक्षा का स्तर, इस्लाम के प्रति प्रतिबद्धता, संविधान और इस्लामी गणतंत्र के मूल्य शामिल हैं.