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Iran Presidential Elections 2024: कैसे चुना जाता है ईरान का राष्ट्रपति, कौन है रेस में सबसे आगे, जानें हर सवाल का जवाब

Iran Presidential Elections 2024: ईरान की पूरी राजनीति वहां के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के इर्द-गिर्द घूमती है. इस बार के राष्ट्रपति चुनाव में मसूद पेजेशकियन और सईद जलीली दो बड़े उम्मीदवार हैं.

Iran Presidential Elections 2024: इब्राहिम रईसी की हेलिकॉप्‍टर हादसे में मौत के बाद ईरान में फिर से राष्ट्रपति का चुनाव होने वाला है. ईरान में कौन चुनाव लड़ेगा इसका फैसला उनके देश की गार्डियन काउंसिल करती है, जिसके सदस्यों को खुद ईरान के सर्वोच्च नेता अयातुल्लाह अली खामनेई नामित करते हैं. ईरान में 28 जून को राष्ट्रपति के पहले चरण का चुनाव हुआ था, जिसमें कोई भी उम्मीदवार 50 फीसदी से अधिक वोट नहीं हासिल कर पाया था.

5 जुलाई को दूसरे चरण की वोटिंग

अब ईरान में शुक्रवार (5 जुलाई) यानी आज दूसरे चरण की वोटिंग होगी. इस चुनाव में सुधारवादी मसूद पेजेशकियन और कट्टरपंथी माने जाने वाले सईद जलीली दो बड़े उम्मीदवार बनकर उभरे हैं. ईरान में 28 जून को कम वोटिंग दर्ज की गई थी, जिसमें किसी भी उम्मीदवार को बहुमत नहीं मिली थी, इस वजह से अब चुनाव का रन-ऑफ 5 जुलाई को कराया जाएगा.

ईरान में 28 जून को हुए वोटिंग की गिनती 29 जून को की गई थी, जिसमें मसूद पेजेशकियन को 42.5 फीसद तो सईद जलीली को 38.8 फीसदी वोट मिले थे. वहीं कंजर्वेटिव पार्लियामेंट के स्‍पीकर मोहम्‍मद बकर कलिबाफ 13.8 फीसद वोट मिले थे. मसूद पेजेशकियन मोहम्‍मद खतामी की सरकार में हेल्‍थ मिनिस्‍टर रह चुके हैं.

जिन नेताओं के बीच है मुकाबला जानें उनका इतिहास

ईरान में अब चुनाव प्रचार थम चुका है और देश सहित दुनिया की नजर वहां के वोटिंग पर है. ऐसे में जिन दो प्रमुख नेताओं के बीच मुकाबला होना है उसके बारे में जानते हैं. सईद जलीली को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर 2007 और 2012 के बीच ईरानी परमाणु फाइल को संभालने में उनकी भूमिका के लिए जाना जाता है, जब वह देश के निर्विवाद मुख्य परमाणु वार्ताकार थे.

सईद जलीली ईरान के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के प्रतिनिधी के रूप में काम करते हैं. इससे पहले भी वह दो बार राष्ट्रपति पद की दौर में शामिल रह चुके हैं. 

सईद जलीली अपने पूर्व सहयोगी दिवंगत राष्ट्रपति इब्राहिम रईसी की तरह ही एक रूढ़िवादी कट्टरपंथी नेता हैं. साल 2015 में जलीली वेस्टर्न देशों के साथ परमाणु समझौते के खिलाफ थे. ऐसे में अगर वह राष्ट्रपति बने तो पश्चिम देशों के साथ ईरान के रिश्तों का असर पड़ सकता है. हालांकि चुनाव के दौरान उन्होंने महंगाई कम करने का वादा किया है.

दूसरी ओर मसूद पेजेशकियन को उदारवादी माना जाता है. ये ईरान के पूर्व राष्ट्रपति मोहम्मद खातमी और हसन रूहानी जैसे बड़े नेताओं के समर्थक हैं. उन्होंने कहा है कि रष्ट्रपति बनने पर वह 2015 के परमाणु समझौते को बहाल करने के लिए काम करेंगे. जिस तरह से ईरान में विरोध प्रदर्शनों से सरकार निपटती है, इसकी उन्होंने निंदा की है.  

अली खामेनेई के इर्द-गिर्द घूमती है ईरान की राजनीति

ईरान की पूरी राजनीतिक वहां के सर्वोच्च नेता अली खामेनेई के इर्द-गिर्द घूमती है. मसूद पेजेशकियन और सईद जलीली दोनों की ईरान सरकार के वफादार हैं. ये दोनों ही नेता इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (आईआरजीसी) के समर्थक हैं, जो ईरान के सेनाओं का स्तंभ है. जलीली आईआरजीसी के पूर्व सदस्य रह चुके हैं तो पेजेशकियन आईआरजीसी की वर्दी में संगठन का काम कर चुके हैं.

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