नई दिल्ली: कासिम सुलेमानी की मौत के बाद ईरान में क्या हुआ और वो किस हद तक जाने को तैयार है ये दुनिया देख रही है. ईरान ने बुधवार सुबह इराक में अमेरिका के दो सैनिक ठिकानों पर ताबड़तोड़ 22 मिसाइलें दागीं और 80 लोगों को मारे जाने का दावा किया. हालांकि अमेरिका ने मौत के आंकड़ों की पुष्टि नहीं की है लेकिन ईरान के इस हमले को सुलेमानी की मौत का बदला माना जा रहा.
ईरान ने अपने इस ऑपरेशन को शहीद सुलेमानी का नाम दिया था. अमेरिका ने 3 जनवरी को ईरान के दूसरे सबसे ताकतवर शख्स सुलेमानी की ड्रोन अटैक में हत्या करवा दी थी. ईरान ने पांच दिन सुलेमानी का शव नहीं दफनाया जब तक उसने बदला नहीं ले लिया.
ईरान और अमेरिका युद्ध की तरफ बढ़ रहे हैं. लेकिन कासिम सुलेमानी का कद ईरान में इतना बड़ा क्यों था? कासिम सुलेमानी को ईरान इतना प्यार क्यों करता था. सुलेमानी ने अपने देश के लिए ऐसा क्या किया कि उनकी मौत पर आज पूरा ईरान मर मिटने को तैयार है.
ईरान का दूसरा सबसे शक्तिशाली शख्श
जनरल कासिम सुलेमानी का कद ईरान में बहुत बड़ा था. ईरान के सबसे ताकतवर और सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातोल्लाह ख़मेनेई के बाद अगर ईरान में किसी को दूसरा सबसे शक्तिशाली इंसान समझा जाता था तो वो जनरल कासिम सुलेमानी थे. माना जाता था कि उन्हें ईरान के राष्ट्रपति हसन रूहानी से ज्यादा शक्तियां मिली हुई थीं.
जनरल सुलेमानी कुद्स फोर्स नाम की एक सैन्य टुकड़ी के प्रमुख थे. ईरान की ये सैनिक टुकड़ी एक तरह से विदेश में ईरान की सेना के तरह काम करती है जो अलग-अलग देशों में ईरानी हितों के हिसाब से किसी का साथ तो किसी का विरोध करती है. कुद्स फोर्स की ताकत को ऐसे समझ लीजिए कि ईरान में कहने को विदेश मंत्री होता है, लेकिन असल विदेश मंत्री की भूमिका कुद्स फोर्स के प्रमुख ही निभाते हैं जो कासिम सुलेमानी थे.
ईरान के दुश्मनों को मिटा देने के लिए जाने जाते थे सुलेमानी
कासिम सुलेमानी दुनिया के कोने-कोने में ईरान के दुश्मनों को मिटा देने के लिए जाने जाते थे. वे ईरान का सुरक्षा कवच थे. ईरान की तरफ उठने वाली ताकत को मिटाने के लिए खुफिया ऑपरेशन को अंजाम दिया करते थे. ईराक में अमेरिकी सैन्य बेस पर ईरान के हमले के बाद उनके सर्वोच्च धार्मिक नेता अयातोल्लाह ख़मेनेई सामने आए और कासिम सुलेमानी की शहादत को याद करते हुए कहा कि सुलेमानी ने अकेले अपनी बहादुरी और काबिलियत से अमेरिका के एजेंडों को खत्म कर दिया था.
ट्रंप को कर दिया था चैलेंज- ईरान को मत छेड़ो
कासिम सुलेमानी अमेरिका को खुली चुनौती देने के लिए जाने जाते थे. साल 2018 में एक बार कासिम सुलेमानी ने ट्रंप को चैलेंज करते हुए कहा था, ''मिस्टर ट्रंप, मैं एक बात बता देना चाहता हूं...हम तुम्हारे कितने नजदीक हैं...ये तुम नहीं जानते...हम तुम्हारे इतने नजदीक हैं...जितना तुम सोच भी नहीं सकते...हम शहीदों के वतन से आते हैं...हम इमाम हुसैन के वतन से आते हैं...पूछो सबसे...हमने बहुत मुश्किलें देखी हैं. आओ, हम तुम्हारा इंतजार कर रहें हैं. हम तो असलियत में जी रहें हैं. जहां तक तुम्हारी बात हैं तुम जानते हों कि जंग तुम्हारा सब कुछ खत्म कर देगी. तुम जंग शुरू जरूर करोगे लेकिन उसे खत्म हम ही करेंगे. इसलिए ईरान को मत छेड़ो. इसलिए हमारे राष्ट्रपति को मत छेड़ो.''
अमेरिका के एजेंडे को पूरा नहीं होने दिया
कासिम सुलेमानी की ताकत ये थी कि जब सीरिया में राष्ट्रपति बशर अल असद के खिलाफ विद्रोह का बिगुल बजा था तो उसे दबाने में सीरियाई राष्ट्रपति की मदद जनरल सुलेमानी ने ही की थी. जबकि अमेरिका ने हमेशा दुनिया के सामने सीरिया को एक आतंकवादी देश साबित करने की कोशिश की है लेकिन सुलेमानी की मदद ने अमेरिका का एजेंडा पूरा नहीं होने दिया.
इराक में जब दुनिया का सबसे खूंखार आतंकवादी संगठन इस्लामिक स्टेट मजबूत हो रहा था तो उसे खत्म करने में कासिम सुलेमानी ने अहम भूमिका निभाई थी. सुलेमानी की वजह से ही ईरान लेबनान तक अपना प्रभाव फैलाने में कामयाब रहा है. लेबनान में उसने हिजबुल्ला के जरिए अपनी मौजूदगी दर्ज करवाई.
अमेरिकी खुफिया एजेंसी सीआईए के एक पूर्व अधिकारी जॉन मैग्वायर ने छह साल पहले अमेरिकी पत्रिका से कहा था कि जनरल सुलेमानी वेस्ट एशिया में अभियान चलाने वाले सबसे ताकतवर शख्स हैं और पश्चिम एशिया में ईरान का लगातार मजबूत होते जाना अमेरिका को खटक रहा था.
काफी पहले से अमेरिका के निशाने पर थे कासिम सुलेमानी
कासिम सुलेमानी काफी पहले से अमेरिका के निशाने पर थे. 23 अक्तूबर 2018 को सऊदी अरब और बहरीन ने ईरान की रिवॉल्यूशनरी गार्ड्स को आतंकवादी और इसकी क़ुद्स फ़ोर्स के प्रमुख क़ासिम सुलेमानी को आतंकी घोषित किया था. इसके बाद से ही कुद्स फोर्स के चीफ जनरल सुलेमानी अमेरिका, इज़रायल और सऊदी की हिटलिस्ट में थे. कई बार उन्हें मारने की कोशिशें हुईं. अक्टूबर 2019 में एक खबर आई. ईरान ने बताया कि उसने जनरल सुलेमानी को मारने की एक साज़िश का भंडाफोड़ किया है. उसके मुताबिक साजिश के पीछे इज़रायल और अरब की खुफिया एजेंसियां थीं.
3 जनवरी को अमेरिका ने ड्रोन हमले में सुलेमानी को मार गिराया
इस साल 9 और 10 सितंबर को तेहरान में एक धार्मिक आयोजन होना था. हमलावरों की प्लानिंग थी कि वो सुलेमानी के पिता की बनाई गई एक मस्जिद के पास ज़मीन खरीदेंगे ताकि वहां से एक सुरंग खोधी जा सके और उसमें विस्फोटक भर दिया जाए. आगे की योजना कुछ ऐसी थी कि जैसे ही जनरल सुलेमानी मस्जिद में घुसते सुरंग में भरे विस्फोटकों के सहारे पूरी मस्जिद को उड़ा दिया जाता. लेकिन ये योजना भी कामयाब नहीं हुई और आखिरकार 3 जनवरी को अमेरिका ने बगदाद एयरपोर्ट पर कासिम सुलेमानी को एयर स्ट्राइक में मार गिराया.