Iran’s Nuclear Program : ईरान का परमाणु कार्यक्रम अक्सर चर्चा का विषय बना रहता है. इजरायल और अमेरिका के साथ कई पश्चिमी देशों का आरोप है कि ईरान परमाणु हथियार बनाने की प्रयास में जुटा हुआ है. अमेरिका के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार जेक सुलिवन ने हाल ही में कहा था कि मध्य पूर्व में कमजोर पड़ा ईरान परमाणु हथियार बनाने की कोशिश कर सकता है.
वहीं, इजरायल शुरू से ही ईरान के परमाणु कार्यक्रम को अपने अस्तित्व के लिए खतरे के तौर पर देखता आया है. दूसरी ओर परमाणु हथियार की आशंका के कारण ही अमेरिका ने ईरान के ऊपर कई कड़े प्रतिबंध लगाए हुए हैं. ऐसे में सवाल ये उठता है कि ईरान को परमाणु तकनीक आखिर किसने दी और ईरान ने कैसे अपने परमाणु कार्यक्रम की शुरुआत की.
ईरान परमाणु कार्यक्रम के लिए काफी मजबूत
उल्लेखनीय है कि ईरान लंबे समय से परमाणु तकनीक को विकसित कर अपने आपको एक परमाणु शक्ति संपन्न देश बनाना चाहता है. जिसके लिए ईरान कई न्यूक्लियर रिसर्च साइट्स उपलब्ध हैं. इसके अलावा ईरान के पास दो यूरेनियम की खदानें, एक रिसर्च रिएक्टर और यूरेनियम प्रोसेसिंग फैसिलिटीज हैं, जहां उनका संवर्धन किया जाता है. हालांकि ईरान के पास अभी तक कोई परमाणु हथियार नहीं है, लेकिन अंतरराष्ट्रीय प्रतिबद्धताओं का उल्लंघन करते हुए ईरान का परमाणु हथियार के लिए सीक्रेट रिसर्च करने का लंबा इतिहास रहा है. पश्चिमी विश्लेषकों के मुताबिक, अगर ईऱान का नेता फैसला करते हैं तो उसके पास काफी कम समय में परमाणु हथियार बनाने के लिए बुनियादी ढांचा उपलब्ध है.
परमाणु हथियार को लेकर ईऱान का क्या है दावा?
ईरान के पास 50 सालों से ज्यादा पुराना असैन्य परमाणु ऊर्जा कार्यक्रम है, जो लंबे समय से अपने गैर-सैन्य उद्देश्यों को बनाकर रखे हुए है. वहीं, 2024 के अप्रैल में ईरान के एक सरकारी प्रवक्ता ने कहा, ‘ईरान ने बार-बार कहा है कि उसका परमाणु कार्यक्रम केवल शांतिपूर्ण उद्देश्यों के लिए है. परमाणु हथियारों का हमारे परमाणु सिद्धांत में कोई स्थान नहीं है.’
किस देश ने ईरान को दी परमाणु तकनीक?
चीन और रूस, ये दो परमाणु हथियार संपन्न देश, के ईरान के साथ बेहतर संबंध हैं. फिर भी इन दोनों देशों ने ईरान का परमाणु तकनीक नहीं दी. बल्कि ईरान को संयुक्त राज्य अमेरिका ने परमाणु तकनीक दी थी. ईरान का परमाणु कार्यक्रम 1950 के दशक मे शुरू हुआ था, जो कि अमेरिका और ईरान के शाह के बीच शीत युद्ध गठबंधन का नतीजा था. हालांकि 1979 में ईरानी क्रांति के बाद परमाणु कार्यक्रम को बंद कर दिया गया था. वहीं, अमेरिका ने तब अपने एटम फॉर पीस कार्यक्रम के तहत ईरान को परमाणु तकनीक, ईंधन, उपकरण और प्रशिक्षण देने में सहायता की थी. 1967 में अमेरिका ने ईरान को 5 मेगावाट का रिसर्च रिएक्टर भी दिया.
दूसरी ओर फ्रांस ने 1974 में एक फ्रांसीसी यूरेनियम संवर्धन संयंत्र में 1 बिलियन डॉलर का निवेश किया. जबकि एक जर्मन कंपनी क्राफ्टवर्क ने फारस की खाड़ी के तट पर बुशहर परमाणु ऊर्जा संयंत्र के निर्माण में मदद की. यहां तक की MIT ने 1975 में ईरानी परमाणु इंजीनियरों को प्रशिक्षण देने के लिए ईरान के साथ एक अनुबंध किया था. हालांकि, इसे लेकर भी कोई काम नहीं हुआ.
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