ईरान में आरोपी को जुर्म के लिए दो बार मिली फांसी, क्या है इसके पीछे की कहानी; जानें
अहमद को इसके पहले गेलेज हेसल जेल में 27 अप्रैल को फांसी पर चढ़ाया गया था. यह जेल तेहरान के बाहर करज में स्थित है. अहमद को फांसी पर चढ़ना तो गया, लेकिन शुरू के 28 सेकंड होते ही उसे नीचे उतार दिया गया.
ईरान दुनिया का वह मुल्क है जो कट्टर इस्लामी है और जहां सबसे ज्यादा फांसी की सजा दी जाती है, लेकिन इस बार ईरान से फांसी की सजा का एक ऐसा मामला सामने आया है, जिसमें एक व्यक्ति को कुछ महीनों के भीतर ही दो बार फांसी के फंदे से लटकाया जा चुका है.
ईरान के नॉर्वे में स्थित मानवाधिकार संगठन ने जानकारी देते हुए बताया कि अहमद अलीजादेह को हत्या के आरोप में गिरफ्तार किया गया था और 2018 में ही उसे मौत की सजा भी सुनाई गई थी, लेकिन उसने इन आरोपों से साफ इनकार कर दिया था.
पीड़ित के परिवार ने फांसी देते समय कहा था ये…
अहमद को इसके पहले गेलेज हेसल जेल में 27 अप्रैल को फांसी पर चढ़ाया गया था. यह जेल तेहरान के बाहर करज में स्थित है. अहमद को फांसी पर चढ़ाना तो गया, लेकिन शुरू के 28 सेकंड होते ही उसे नीचे उतार दिया गया. ईरान ह्यूमन राइट्स का कहना है कि पीड़ित के परिवार ने फांसी देते समय अचानक कहा था ‘माफ कर दो’, जिसको देखते हुए इस फांसी को रोक दिया गया था और अहमद की सांस भी चल रही थी.
शरिया कानून के तहत क्या कर सकता है पीड़ित परिवार
ईरान में शरिया कानून चलता है और इसके तहत पीड़ित का परिवार अपराधी को माफ भी कर सकता है या फिर उसकी जान बख्शने के बदले में रकम की भी डिमांड कर सकता है. हालांकि, राईट एक्टिविस्ट ने बताया कि कई ऐसे मामले भी हैं, जिसमें दोषी का परिवार इस राशि को देने में सक्षम नहीं होता है और फांसी को नहीं रूकवाता.
आज दूसरी बार दी गई फांसी
अहमद को आज 13 नवंबर की सुबह फिर से फांसी पर चढ़ा दिया गया. ईरान ह्यूमन राइट्स के निदेशक मोहम्मद अमीरी मेगद्दम ने ईरान के शासन की आलोचना करते हुए कहा कि अहमद एक प्रतिभाशाली छात्र है, जिसको हत्या के आरोप में दूसरी बार फांसी दी गई. ह्यूमन राइट्स ने इसका खंडन करते हुए दावा किया कि उसे यातना देकर जुर्म कबूल करवाया गया है.
मृत्यु की सजा की संख्या हो रही बढ़ोतरी
ईरान ह्यूमन राइट्स के मुताबिक ईरान में सरकार के विरोध को दबाने के लिए मौत की सजा को डर की तरह इस्तेमाल किया जा जा रहा है. IHR के मुताबिक साल 2024 में मृत्यु की सजा की संख्या में बढ़ोतरी हो रही है और बीते महीने यानी कि अक्टूबर में ही कम से कम 166 लोगों को मौत की सजा सुनाई गई है.