Hijab Row: ईरानी खिलाड़ी ने बगैर हिजाब लिया इंटरनेशनल चेस टूर्नामेंट में हिस्सा, क्या अब मिलेगी सजा
Iran News : ईरान के महिला खिलाड़ी ने बिना हिजाब के एक टूर्नामेंट में भाग लिया है. क्या ईरान की सरकार उनके खिलाफ कोई कड़ा एक्शन लेगी ?
Sara Khadem An Iranian Chess Player: इस्लामिक मुल्क ईरान (Iran) में हिजाब (Hijab) के खिलाफ विरोध प्रदर्शन अब भी जारी है. सरकार प्रदर्शनकारियों की आवाज को दबाने के लिए बल प्रयोग कर रही है. बुधवार (28 दिसंबर) को कजाकिस्तान में हो रहे अंतरराष्ट्रीय चेस टूर्नामेंट में एक ईरानी शतरंज (Chess) के खिलाड़ी ने बिना हिजाब के भाग लिया है.
कजाकिस्तान में FIDE वर्ल्ड रैपिड एंड ब्लिट्ज शतरंज चैंपियनशिप में रॉयटर्स के एक पत्रकार ने सारा खादेम को बिना हेडस्कार्फ के टूर्नामेंट में खेलते हुए देखा है ,जो महिला ड्रेस कोड को नियंत्रित करने वाले ईरान के कानूनों का उल्लंघन करता है.
सारा खादेम का जन्म कब हुआ
साल 1997 में जन्मी शतरंज खिलाड़ी सारा खादेम को विश्व में सक्रिय खिलाड़ियों की लिस्ट में 804 स्थान दिया गया है. उन्हें ईरान में 10 वें स्थान पर रखा गया है. अक्टूबर महीने में भी ईरानी पर्वतारोही एल्नाज रेकाबी ने भी हिजाब के बिना दक्षिण कोरिया में एक प्रतियोगिता में हिस्सा लिया था, हालांकि बाद में उन्होंने कहा था, कि उनका हिजाब गिर गया था.
Sara Khadem, an Iranian chess player, appears at Kazakhstan tournament without hijab for a second day - Reuters witnesspic.twitter.com/QJTauDznGC
— حسن سجواني 🇦🇪 Hassan Sajwani (@HSajwanization) December 28, 2022
सितंबर महीने से चल रहा है विरोध
ईरान सितंबर के महीने हिजाब के मामले को लेकर देशव्यापी विरोध हो रहा है. विद्रोह तब हिंसक हो गया जब 22 साल की महसा अमिनी की पुलिस की हिरासत में मौत हो गई थी. उनको अनुचित पोशाक के लिए हिरासत में लिया गया था. मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, ईरान की पुलिस ने बड़े स्तर पर प्रदर्शनकारियों को गिरफ्तार करके जेल में डाल दिया है.
हिजाब कानून में होगा बदलाव!
समाचार एजेंसी एएफपी ने ईरान के अटॉर्नी जनरल मोहम्मद जफर मोंटाजेरी के हवाले से कहा था कि ईरान की सरकार ने अब हिजाब की अनिवार्यता से जुड़े दशकों पुराने कानून में बदलाव करने का फैसला लिया है. उन्होंने कहा था कि संसद और न्यायपालिका दोनों इस मुद्दे पर काम कर रहे हैं. दोनों देखेंगे कि क्या कानून में किसी बदलाव की जरूरत है? वहीं ISNA समाचार एजेंसी ने कहा था कि उन्होंने यह स्पष्ट नहीं किया कि दोनों निकायों (संसद और न्यायपालिका) की ओर से कानून में क्या संशोधन किया जा सकता है?